
बुधवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि जब प्रदेश में डेंगू फैलने लगा, तब ही सरकार को सचेत हो जाना चाहिए था, लेकिन वह तो सोती रही। डेंगू की रोकथाम के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। इसी का नतीजा है कि पिछले तीन दिन में प्रदेश में करीब 25 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अनेक जिलों में डेंगू पूरी तरह फैल गया है और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग एकदम नकारा साबित हुआ है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा हालात बिगड़ने के बाद चेत रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी नियुक्त करने के बाद से चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है एवं राजस्थान की चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दे पा रहे है । यदि सरकार ने समय रहते पुख्ता चिकित्सा व्यवस्थाएं की होतीं, तो यह हालात पैदा नहीं होते और डेंगू से ग्रस्त लोगों को असमय मौत का शिकार नहीं होना पड़ता।
देवनानी ने कहा कि जिस तरह कोरोना महामारी का असर पूरे चरम पर था और सरकार के सभी प्रयास विफल हो रहे थे, इसी तरह की स्थिति अब डेंगू में भी पैदा हो गई है। कोरोना के समय भी सरकार ने समय रहते चिकित्सा सुविधाओं की तरफ ध्यान नहीं दिया था और अब भी उसका यही हाल रहा है। सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में डेंगू की दवाइयों और चिकित्सा सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। डेंगू की जांचें सरकारी अस्पतालों में नहीं होने के कारण मरीजों को प्राइवेट लैबों पर जाकर महंगे दामों पर जांचें कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यदि सरकार ने अभी तक पुख्ता बंदोबस्त करने शुरू नहीं किए, तो डेंगू जैसी बीमारी महामारी का रूप ले सकती है। इसलिए सरकार को डेंगू के इलाज संबंधी सभी जरूरी दवाइयों सहित वांछित उपकरण और बेडों की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में तुरंत करनी चाहिए। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में घर-घर जांच व सर्वे अभियान शुरू कराया जाना चाहिए, ताकि डेंगू को फैलने से रोका जा सके।