नवजात बच्चे और माता को परिजन दें सुरक्षा कवच-डॉ रोमेश गौतम

मित्तल हॉस्पिटल में आयोजित न्यूबॉन बेबी केयर वीक सम्पन्न
अजमेर, 22 नवम्बर()। नवजात बच्चा बोलता नहीं है, बाहर के एन्वायरमेंट से बच्चे को एक्सपोज नहीं होने देना है। क्यों कि बड़ों में संक्रमण फैलने में और रोग के बढ़ने में समय लगता है किन्तु नवजात बच्चों में एक मिनट में कुछ भी हो सकता है।
मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, अजमेर के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम ने 15 से 21 नवम्बर तक आयोजित न्यूबॉन बेबी केयर वीक के समापन अवसर पर परिवारजनों को यह सलाह दी।
मित्तल हॉस्पिटल में आयोजित इस वीक के दौरान अनेक नवजात बच्चों के अभिभावकों ने लाभ उठाया। डॉ रोमेश गौतम ने उनके परिवारजनों को कहा कि नवजात को समय पर सही चिकित्सा सुविधा मिले तो उसकी मृत्यु दर कम हो सकती है। नवजात को अस्पताल में भर्ती कराने का जोखिम कम हो जाता है। बच्चे को सिर्फ मां का दूध दिया जाता है तो उसमें इंफेक्शन होने के जोखिम भी बहुत कम हो जाते हैं।
सर्दी में नवजात बच्चे को वार्म (गर्म) बनाए रखें…….
डॉ रोमेश गौतम ने कहा कि अभी ठण्ड का समय है। नवजात बच्चे में बहुत सारे आपातकालीन जोखिम संभव हैं। बच्चा ठण्डा हो जाता है तो उन्हें वार्म रखना उनके जीवन की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हो जाता है।
प्रीमेच्चोर प्रसूति केस बढ़ रहे हैं……….
डॉ रोमेश गौतम ने बताया कि वर्तमान में प्रीमेच्योर बच्चों की संख्या बढ़ रही है। सात से साढ़े सात माह के आस पास प्रसूति हो रही है। ऐसे नवजात बच्चों और उनकी माताओं को अतिरिक्त सेवा की जरूरत है। ऐसा बच्चा मां का दूध नहीं पी पाता । उन्हें दो -दो घंटे से दूध पिलाने के बाद ऐसे बच्चों को ऊपर का दूध भी देना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें वार्म बनाए रखना जरूरी होता है। वर्तमान में इंफेक्शन का दौर चल रहा है। जो लोग खांसी, जुखाम, बुखार से पीड़ित हैं वे तो मॉ व बच्चे के सम्पर्क में आने से दूर ही रहें। बच्चों को इंफेक्शन का डर ज्यादा रहता है। बच्चे को तो माता से भी इंफेक्शन हो सकता है। माता को खुद भी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना है।
नवजात पर रखनी होती है राउण्ड द क्लॉक निगरानी…….
डॉ रोमेश गौतम ने कहा कि नियोनेटोलॉजिस्ट विभाग एक ऐसा विभाग है जहां पूरा टीम वर्क ही है। अकेला डाक्टर कुछ नहीं कर सकता। पहला काम प्रसूति विभाग का होता है जहां बच्चे का अच्छे से जन्म हो। इसी समय नियोनेटोलॉजिस्ट बच्चे को अटेण्ड करता है। बाद में नर्सरी का स्टाफ व रेजीडेंट डॉक्टर का बहुत ही बड़ा रोल होता है। वह देखरेख करते हुए ही बच्चे के बारे में पूरा समझते हैं। बच्चे और बड़ों में यही अंतर है, बड़ा बोल सकता है नवजात बच्चा बोलता नहीं है। डॉ रोमेश गौतम ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में पूरी टीम है। राउण्ड द क्लॉक बच्चों को निगरानी में रखा जाता हैं। नवजात बच्चे को इंफेक्शन से बचाना प्राथमिकता होती है। जितना जल्दी दिक्कत पकड़ पाते हैं उतना ही उपचार आसान हो जाता है।
नवजात की नियमित जांच जरूरी ……..
एक सवाल के जवाब में डॉ रोमेश ने कहा कि वर्तमान में स्वस्थ लोगों को भी जो बाहर से घर आ रहे हैं अथवा अस्पताल में मिलने पहुंच रहे हैं उन्हें बच्चे से मिलने से पहले हाथ धोने और कपड़े बदल कर ही मिलने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि नवजात बच्चों में क्रिटोनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी एक बीमारी होती है। बच्चे को सुनने व देखने में भी तकलीफ हो सकती है। उसकी जांच होनी चाहिए। नवजात बच्चों की समस्त जांचें समय-समय पर कराते रहना समझदारी ही नहीं बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए जरूरी भी है।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि शिविर में पंजीकृत रोगियों को निर्देशित जांचों पर 25 प्रतिशत तथा ऑपरेशन व प्रोसीजर्स पर 10 प्रतिशत छूट शिविर से सात दिवस तक दी जाएगी। उन्होंने बताया कि शिविर का आयोजन कोरोना गाइड लाइन की पूर्ण पालना के साथ किया गया। हॉस्पिटल में प्रवेश से पूर्व स्क्रीनिंग, सोशल डिस्टेसिंग की पालना, मास्क की अनिवार्यता तथा सैनिटाईजेशन नियमों की पूर्ण पालना की जा रही है।

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