स्वतंत्रता आंदोलन में सिंधी समाज की अहम भूमिका रही

(शहीद हेमू कालानी को शहादत पर श्रद्धांजलि)

पूज्य सिंधी पंचायत पंचशील नगर के तत्वाधान में शहीद हेमू कालानी के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सिंधु भवन में आयोजित संगोष्ठी को अध्यक्ष श्री राधाकिशन आहूजा जी ने संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वर्ष 1916 से 1934 के मध्य महात्मा गांधी ने 7 बार सिंध का दौरा किया। इस दौरान सिंध के सपूतों ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाई देश की आजादी के लिए वीर हीरानंद, आंसूदोमल गिद्वानी, सेवकराम करमचंद, हासोमल, प्रो. श्यामदास वासवानी, चोइथराम वालेचा, रोची थावानी, साधुराम खिलनानी ने आंदोलन में प्रमुख रूप से भागीदारी निभाई।
उन्होंने बताया कि गांधी जी के साथ सविनय अवज्ञा चंपारण आंदोलन में जयराम दास, आचार्य जीवतराम कृपलानी, एन. आर. मलकानी, सुचेता कृपलानी, मोतीलाल गिद्वानी, एन बी थदानी, पी बी चांदवाणी ने भाग लिया।
सिंधु भवन के अध्यक्ष राधा किशन आहूजा और महासचिव मनोज मेंघानी ने कहा कि हेमू कलानी ने 19 वर्ष की आयु में अपने दो मित्रों के साथ अंग्रेजों की सेना की रेलगाड़ी को गिराने के लिए लाइन की फिश प्लेट खोली। पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर फांसी का फंदा स्वीकार किया लेकिन अपने दोनों साथियों के नाम नहीं बताए और अंततः 21 जनवरी 1943 को फांसी पर लटका दिए गए।
सिंधु भवन के उपाध्यक्ष मोहन चेलानी और महेंद्र तीर्थानी ने बताया कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में सिंधी व्यापारियों सेठ प्रताप दयालदास, सेठ परसराम पारूमल, सेठ प्यारेलाल बलेचा, डॉक्टर चोइतराम गिद्वानी, डॉक्टर मंगाराम कालानी, डॉक्टर किशनचंद बूलचंदानी, साधु दयाराम, साधु हंसराज जैसे अनेक दान वीरों ने स्वतंत्रता आंदोलन का सहयोग किया। अंत में हेमू कालानी जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि व दीपदान कर श्रधांजली अर्पित की गई ।
कार्यक्रम में इशिका मनवानी और मिष्ठी मनवानी ने देशभक्ति गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। इस दौरान कमल मोतियानी, अजीत मुलानी, किशन थदानी, सोभराज विधानी, ललित छिबरानी, मुकेश आहुजा, टेक चंद गोस्वामी, माला टेवानी, कमला विधानी, पूजा तोलवाणी, कंचन हरवानी भी उपस्थित थे।

मोहन चेलानी
उपाध्यक्ष

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