इन्टैक स्थापना दिवस पर परिचर्चा का हुआ आयोजन

अजमेर की प्राकृतिक संपदा की स्थिति पर हुई सार्थक चर्चा

अजमेर/ भारतीय सांस्कृतिक निधि ‘इन्टैक‘ के 29वें स्थापना दिवस 27 जनवरी के अवसर पर अजमेर चैप्टर द्वारा ‘अजमेर की प्रकृतिक विरासत‘ विषय पर परिचर्चा का आयोजन आभासी पटल पर किया गया। कन्वीनर राजेश गर्ग ने बताया कि अजमेर जिले में प्रकृति प्रदत्त संपदा और जैव विविधता के क्षेत्र में विपुल भंडार रहा है, उन्होंने 1891 में अजमेर मेवाड़ राज्य के दुर्लभ राजस्व टिकिट भी प्रदर्शित किये जिनमें आनासागर और फायसागर का सुन्दर चित्र छपा है। परिचर्चा संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने अरावली पर्वत से घिरे नाग पहाड़ क्षेत्र में विद्यमान वरूण, संेजना, दिव्यासार, गांगड़ी, शतावरी, वज्रदंती आदि लगभग 371 प्रकार की दुर्लभ औषधियों के बारे में बताते हुए उनके संरक्षण व संवर्द्धन की अपील की। संचालन कर रहे जे.पी.भाटी ने अरावली पहाड़ियों के वनक्षेत्र, आनासागर, फायसागर की प्राकृतिक सुरम्यता का विवरण देते हुए रारवली टाटगढ़ अभ्यारण्य में पेन्थर, भालू व जंगली मुर्गी तथा नसीराबाद के पास शोकलिया में राज्य पक्षी गोडावण पाये जाने की जानकारी भी दी। कुलदीपसिंह रत्नू ने पुष्कर के रेतीले टीलों व बाड़ी और लूणी नदी के बारे में बताया। डाॅ अनन्त भटनागर ने सोफिया स्कूल सहित अनेक स्थानों पर विद्यमान इमली जैसे सौ वर्ष से अधिक पुराने पूर्वज वृक्षों के संरक्षण की बात की। महेन्द्र विक्रम सिंह ने आजादी से पूर्व का मदारगेट का चित्र प्रदर्शित किया और मुकेश भार्गव ने आनासागर क्षेत्र में प्राचीन समय में रहे एस आकार के वृक्ष समूह को पुनस्र्थापित करने की जरूरत बतायी। सोहनलाला चैधरी ने कड़ेल व पीह के बीच स्थित वनक्षेत्र और प्राचीन बावड़ी को संरक्षित रखने की बात की। अनिल जैन ने ब्रिटिश काल में अजमेर की जलवायु को प्रदत्त महत्व के बारे में बताते हुए उसे बनाये रखने की बात कही। परिचर्चा में अन्टैक के अन्य सदस्यों ने भी बढ़चढ़कर भाग लिया।

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