पत्रकारिता विश्वविद्यालय में थानवी की मनमानी-देवनानी

नियमों व मापदंडों को दरकिनार कर मांगे शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन
-विधायक देवनानी ने कुलपति थानवी की सफाई को निहायत बेबुनियाद बताया, थानवी के बयान पर किया जोरदार पलटवार
-रोस्टर की आपत्ति निस्तारित नहीं और यूजीसी योग्यता बदलकर जारी किया विज्ञापन
-प्रचलित नियमों का उल्लंघन करके एक असिस्टेंट प्रोफेसर को डीन और डीन कोटे से प्रबंध बोर्ड का सदस्य बनाया, वही असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में आवेदक
-थानवी ने एमडीएस यूनिवर्सिटी, अजमेर और राजस्थान आईएलडी स्किल यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक वातावरण को भी पहुंचाया नुकसान

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 31 जनवरी। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी नैतिकता की दुहाई देकर अपनी सफाई देने में लगे हैं। यदि ऐसी ही नैतिकता थी, तो अयोग्य होकर भी महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति का दायित्व क्यों संभाला था। उनकी अयोग्यता और अकादमिक अज्ञानता की वजह से विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण खराब हुआ है और लाखों विद्यार्थियों के शिक्षण को दांव पर लगा दिया, जिससे उनकी प्रगति अवरूद्ध हो गई है।
देवनानी ने कहा कि थानवी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अपनी नैतिकता का हवाला देकर उनके (देवनानी के) बयानों को लेकर सफाई पेश की है, जो कि निहायत बेबुनियाद है। देवनानी ने बताया कि नियमानुसार कोई भी पद विज्ञापित करने से पूर्व उस पर लागू होने वाले आरक्षण और रोस्टर के आलोक में परीक्षण करना आवश्यक होता है। उन पर प्राप्त आपत्तियों को निस्तारित करने के बाद ही विज्ञापन जारी किया जाता है। विभिन्न शैक्षणिक पदों पर विज्ञापन से पूर्व विश्वविद्यालय द्वारा वेबसाइट पर रोस्टर कैलेण्डर चस्पा कर उन पर आपत्तियां मांगी गई। इस पर अन्य लोगों के साथ विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों ने भी आरक्षण प्रावधानों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। उनकी आपत्तियों को निस्तारित किए बिना ही विज्ञापन जारी कर दिया। स्वयं विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों ने रोस्टर के इस गड़बड़झाले की शिकायत 17 जनवरी को राज्यपाल से की है। हास्यास्पद बात यह है कि असिस्टेंट प्रोफेसर को असिस्टेंट लाइब्रेरियन के समक्ष दर्शा दिया गया है।
देवनानी ने आरोप लगाया है कि हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय में जारी शैक्षणिक पदों के विज्ञापन में यूजीसी की अनिवार्य योग्यता को अपनी सुविधानुसार बदल दिया गया है और आरक्षित पदों के रोस्टर के संबंध में स्वयं विवि के संकाय सदस्यों की आपत्तियों को निस्तारित किए बिना ही जल्दबाजी में विज्ञापन जारी किया गया है। सदस्यों ने राज्यपाल को भी पत्र प्रेषित कर संपूर्ण मामले से अवगत कराया है। उनका कहना है कि वर्तमान में जो पदों पर आरक्षण प्रावधान किए गए हैं, उनसे महिलाओं और आरक्षित वर्ग को नुकसान पहुंचा है। देवनानी ने सवाल उठाया है कि ऐसी क्या जल्दी थी कि ऐसे संवेदनशील मसले की जांच और निस्तारण किए बिना आनन-फानन में विज्ञापन जारी किया गया। इतना ही नहीं, विज्ञापित पदों के लिए आवश्यक जानकारी 4 दिसंबर, 2021 को वेबसाइट पर दी गई। एक माह से भी कम समय में अंतिम तिथि 2 जनवरी, 2022 निर्धारित कर दी गई। दो जनवरी को रविवार का राजकीय अवकाश होने के बावजूद भी यह अंतिम तिथि रखी गई, ताकि भ्रम की स्थिति बनी रहे। इन सब तथ्यों से स्पष्ट है कि भर्तियों जैसे गंभीर कार्य को कितने मनमाने तरीके से किया गया है। कुलपति का कार्यकाल 8 मार्च को खत्म हो रहा है और पिछले माह दिसम्बर में भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया। इससे उनकी जल्दबाजी की मंशा स्पष्ट तौर पर साबित होती है।
देवनानी ने कहा कि थानवी अपनी गलतियों को छिपाने के लिए शैक्षणिक पदों पर विश्वविद्यालय की ओर से जारी न्यूनतम योग्यता को लेकर अनावश्यक और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए यूजीसी मापदण्डों में जो आवश्यक योग्यताएं निर्धारित की गई हैं, उन्हें अपनी सुविधानुसार बदल दिया गया है। विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए विविध स्तरों पर पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को विशेष अंक देने का प्रावधान रखा है, जबकि यूजीसी रेग्यूलेशन, 2018 के अंतर्गत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यही नहीं एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर जैसे वरिष्ठ पदों के लिए पाठ्यक्रमों के निर्माण और टीचिंग लर्निंग इनोवेशन और शिक्षण में प्रतिभागिता जैसी महत्वपूर्ण और आवश्यक योग्यता को विश्वविद्यालय ने अपने द्वारा जारी विज्ञापन में अनिवार्य योग्यता से हटा दिया है। उच्च शिक्षण जैसे महत्वपूर्ण काम में वरिष्ठ पदों पर शिक्षण का अनुभव और परंपराओं को दरकिनार कर यूजीसी गाइड लाइन की अवहेलना की गई है, जो कि स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण के लिए घातक है। राज्य पोषित विश्वविद्यालयों को शासकीय नियमों का पालन करना होता है और उनकी जवाबदेही भी होती है। देवनानी ने राज्यपाल से मांग की है कि विश्वविद्यालय को जारी विज्ञापन में दर्शित आरक्षण और अनिवार्य योग्यता की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करवाकर नियमानुसार पुनः विज्ञापन जारी कराने का आदेश दिया जाए।
देवनानी ने आरोप लगाया है कि कुलपति थानवी ने अपने विश्वविद्यालय में प्रचलित नियमों का उल्लंघन करके एक असिस्टेंट प्रोफेसर को डीन और डीन कोटे से प्रबंध बोर्ड का सदस्य भी बना रखा है, जबकि वह असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफसर पद के लिए आवेदक बताया गया है।
देवनानी ने कहा कि थानवी ने न केवल हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय, बल्कि राजस्थान आईएलडी स्किल यूनिवर्सिटी जयपुर के कुलपति रहते हुए उसे मनमाने ढंग चला कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड किया है। स्किल यूनिवर्सिटी का शैक्षणिक सत्र पिछड़ गया है और उनसे संबद्ध पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं भी समय पर नहीं हो सकी हैं। यदि थानवी में नैतिकता होती, तो अनुभवहीनता के चलते ऐसे पदों पर नहीं बैठते। देवनानी ने कहा कि शिक्षा के मामले में कुलपतियों को राजनीति से ऊपर उठकर बात करनी चाहिए।

error: Content is protected !!