जैन मुनियों की अगवानी की

केकड़ी 17 फरवरी (पवन राठी)
श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोहरा कॉलोनी में आज आचार्य श्री 108 अनुभव सागर जी ससंघ आठ पिच्छि, जिसमें पांच मुनि, 2 आरियका, व 1 क्षुल्लक सहित कोहड़ा से विहार करते हुए पहुंचे । सावर रोड से बैंड बाजे के साथ जुलूस के रूप में भैंरुगेट, सदर बाजार, श्री आदिनाथ मंदिर होते हुए श्री नेमिनाथ मंदिर, बोहरा कॉलोनी पहुंचे ,वहां पर मुनिसंघ की भव्य अगवानी की गई तथा धर्म सभा आयोजित की गई । आचार्य श्री ने प्रवचन के दौरान कहा कि जिसे पर मिले उसे घर चाहिए और जिसे घर मिला उसे पर ……आचार्य श्री ने कहा कि संतों का सानिध्य तो पुण्य से मिल सकता है परंतु उसे सानिध्य को हमें अपने पुरुषार्थ से जीवन के लिए बहुआयामी बनाना पड़ता है, संसारी प्राणी भंवरे की तरह ओर ओर की चाहत में यह भूल जाता है कि कभी जीवन का अंत भी होना है, फिर भी इच्छाओं की पूर्ति के लिए वह कभी जीवन के सदुपयोग का विचार नहीं करता । उन्होंने आगे कहा कि अगर समेटना नहीं आता है तो फैलाना भी नहीं चाहिए तथा जो विसर्जन की कला नहीं जानता उसे सर्जन से बचना चाहिए । मनुष्य बुद्धिमान माना जाता है परंतु प्रवृत्ति मूर्खता की ही रहती है, ठंडा हो तो वह गर्म चाहता है तथा गर्म मिलने पर वह ठंडा चाहता है ,जो है वह नहीं चाहता और जो नहीं है वह चाहता है, इसीलिए दुखी रहता है । संतों का सानिध्य पाकर अपनी प्रवृत्ति के परिवर्तन का पुरुषार्थ करना चाहिए ।
समाज के अध्यक्ष अमरचंद चौरुका ने बताया कि प्रतिदिन शाम को मंदिर में आनंद यात्रा की जाएगी । मंत्री भागचंद जैन धुंधरी वाले, कोषाध्यक्ष उत्सव जैन, शांतिलाल जैन जूनिया , देवा लाल जैन,रतनलाल जैन ,विनय कटारिया मीडिया प्रभारी रमेश बंसल व पारस कुमार जैन सहित कई महिला पुरुष उपस्थित थे ।

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