गीता में सभी सम्प्रदाय जाती वर्ण व देश के उद्धार की भावना समाहित
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केकड़ी 15 अप्रैल(पवन राठी)श्रीमद भागवत गीता एक अलौकिक ग्रंथ है जिसमे सभी सम्प्रदाय जाती धर्म और देश के उद्धार की भावना समाहित है-ये उद्गार महामंडलेश्वर जगदीशपुरी जी ने गीता भवन में सत संस्कार सेवा समिति के तत्त्वावधान में चल रहे भागवत कथा के प्रवचन में व्यक्त किये।
आचार्य श्री ने यह भी कहा कि भगवान प्रत्येक प्राणी के हृदय में विद्ध्यमान है तथा वही सभी को जीवन की राह दिखाता है।
भागवत गीता का एक मात्र लक्ष्य प्रत्येक मानव का कल्याण है। भागवत गीता का पाठ करने से शांति का अहसास होता है। महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन को स्वजनों से राग द्वेष मोह व शोक हो रहा था तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर सम्पूर्ण जगत को उपदेश दिया था कि व्यक्ति जो भी कर्म करे वह निष्काम भाव से करे तो सफलता मिलना निश्चित है। मन को परमात्मा की भक्ति में लीन कर दे यही धर्म है।
कथा के अंत मे आयोजक देवन भगतानी एवम परिजनों द्वारा भागवत जी की आरती की गई।