रात दिन एक कर बड़ी मुश्किलों में किया मुकाम हासिल

केकड़ी 20 अप्रैल(पवन राठी) / कर अपने हौसलों को इतना बुलंद की मंजिल खुद पूछ ले बता तेरी रजा क्या है।इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है बघेरा निवासी ममता आचार्य ने । जिन्होंने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2021 में सफल होकर आज समाज और परिवार का मान बढ़ाया है। सफल होना कोई बड़ी बात नहीं है ,क्षेत्र में परदेस में कई युवा भी इस भर्ती परीक्षा में चयनित हुए हैं। लेकिन ममता आचार्य उन सब में विशेष इसलिए हैं कि बचपन में कि अपने दादा ,माता , पिता का साया इनके सर से उठ चुका था ।ऐसे वह स्किल दौर में पढ़ना लिखना तो दूर दो वक्त की रोटी भी नसीब होना मुश्किल था। बचपन में किसे इतनी समझ होती है लेकिन विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए दो रोटी दो वक्त की रोटी अपने छोटे भाई को पालना और परिवार को संभालने की चिंता और अपने आप को इस लायक बनाना वह भी इस महंगाई और इस बेरोजगारी की मार में जब लाखों युवा जी तोड़ प्रयास करते हैं। सफल होने के लिए लेकिन ममता ने वह कर दिखाया है जो लोगो का सपना होता है।ज्ञात हो कि ममता आचार्य को तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2021 लेवल 1 में सफल होने के लिए विपरीत परिस्थितियों से लड़ना पड़ा और लग्न कठोर मेहनत पर विश्वास के साथ कठोर मेहनत की इसी त्याग और तपस्या का फल है कि इन्होंने अपने आपको कभी नहीं टूटने दिया जी जान लगा कर मेहनत की और इनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने आज गांव का नाम अपने परिवार का नाम रोशन किया है। जिन्होंने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा 2021 में जनरल केटेगरी से 136 अंको के साथ आल राजस्थान में 1457 रेंक प्राप्त कर अपने माता पिता और गांव का नाम रोशन किया है। मेरा मानना है की जो इंसान अपनी परिस्थिति की परवाह किए बिना अगर अपनी मंजिल के लिए मेहनत करता है। प्रभु भी उनका पूरा साथ देते हैं । बाबा श्याम प्रभु के चरणों में इनकी आस्था समर्पित रही है और प्रभु ने इनको सफल भी किया है।

स्कूली शिक्षा का अंतिम वर्ष बाहरवीं कक्षा 2013 में उतीर्ण होने के बाद अपने जीवन को नई उड़ान देने के सपनों को ध्यान में रखते हुए निरन्तर संघर्षशील रही , बचपन मे माँ – बाप के गुजरने के बाद, घर मे ना कोई पुश्तेनी जायदाद थी, ना रोजगार, ना कोई कमाने वाला था , इसलिए 12वीं के बाद निजी स्कूलों में पढ़ाया , छोटे बच्चों को ट्यूशन दिया और किसी तरह गुजर बसर किया लेकिन अपने अन्दर की उस लौ को बुझने नही दिया और बीएसटी की परीक्षा 2018 में पास की । इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने जज्बे ओर जुनून को बनाये रखा और अंत मे अपनी सफलता को एक नया आयाम दिया। ममता आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती है ।इनका सपना स्कूल व्याख्याता या कॉलेज असिस्टेंट प्रोफेसर बनना है।
ममता मानती है कि अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सही दिशा और कठिन परिश्रम के साथ अनवरत प्रयास किया जाए तो सफलता निश्चित रूप से कदम चूमती है।

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