-बड़े स्तर पर बैठे लोगों की रही भागीदारी, सीबीआई जांच हो, तो उतर जाए चेहरों से नकाब
मंगलवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार उदयपुर में अपनी पार्टी के संगठनात्मक चिंतन शिविर में आकाओं की मिजाजपुर्सी में मशगूल रही और पीछे से एक गिरोह ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कर सरकार की बाट लगा दी। उन्होंने कहा, इस परीक्षा का पेपर लीक होने से यह बात तो साफ हो गई है कि सरकार नकल विरोधी कानून केवल दिखावे के लिए आई थी। सरकार बार-बार यह दावा करती है कि नकल विरोधी कानूनी से पेपर लीक मामलों में सख्ती से निपटा जाएगा और भर्ती परीक्षाओं के दौरान कड़ी व्यवस्थाएं की जाएंगी, लेकिन पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा से सरकार के सारे दावे झूठे साबित हो गए हैं।
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में अभी तक 11 भर्ती परीक्षाएं हुई हैं। कमोबेश सभी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। कुछ परीक्षाएं तो नियमों की अनदेखी और प्रश्नों पर आपत्तियों के कारण विवाद का विषय रही हैं। ऐसे में कुछ परीक्षाओं के मामले कोर्ट तक भी पहुंचे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं, उनमें सरकार से जुड़े लोग ही शामिल होते हैं। यही कारण है कि सरकार ने आज तक किसी भी पेपर लीक मामले की सीबीआई से जांच नहीं कराई। यदि सरकार सीबीआई जांच कराए, तो सरकार में बैठे कतिपय अनेक बड़े लोगों और कांग्रेस से जुड़े लोगों के चेहरों से नकाब हट सकता है। उन्होंने कहा कि रीट परीक्षा के पेपर लीक मामले में भी यही हुआ। राजीव गांधी स्टडी सर्कल के लोग ही इस मामले में शामिल रहे, यह बात पुलिस जांच में भी साबित हुई, लेकिन सरकार ने आज तक उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की।
देवनानी ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होने से लाखों अभ्यर्थियों के जीवन के साथ खिलवाड़ होता है। युवा नौकरी पाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं और परीक्षा देते हैं, लेकिन जब पेपर लीक हो जाता है, तो वे हतोत्साहित और निराश हो जाते हैं और उनका मनोबल गिरता है।