कांग्रेस की फूट जगजाहिर-देवनानी

-खेल मंत्री चांदना के बयान पर भाजपा नेता देवनानी ने ली चुटकी।
-देवनानी ने बताया इस प्रकरण को कांग्रेस चिंतन शिविर का रूझान।
-राज्य सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों में ही भयंकर आक्रोश।
-कांग्रेसियों द्वारा आक्रोश प्रकटीकरण का सिलसिला आगे भी रहेगा जारी।

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 27 मई।
राज्य सरकार के खेल मंत्री अशोक चांदना द्वारा जलालत भरे मंत्रीपद से मुक्त कर सभी विभागों का जार्च कुलदीप रांका को सौंप दिए जाने के बयान पर भाजपा नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने चुटकी ली है। देवनानी ने कहा कि हालही में सम्पन्न ‘कांग्रेस चिंतन शिविर’ के रूझान आने शुरू हो गए है। कांग्रेस में सालों से व्याप्त आक्रोश अब फूटकर बाहर आने लगा है, सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस के अंदर भयंकर आक्रोश व्याप्त है। राज्य सरकार के गत सवा तीन सालों के कुशासन से न केवल जनता बल्कि स्वयं कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता भी गले तक भर आए है। वैसे कुछ कांग्रेसियों द्वारा तो सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस सरकार का विरोध शुरू कर दिया था जो अब खुलकर सामने आने लगा है। खेल मंत्री अशोक चांदना द्वारा इस भ्रष्ट एवं अकर्मण्य सरकार से मुक्ति माॅगना इसका जीता जागता प्रमाण है। केवल चांदना ही दबाव महसूस कर रहे हैं ऐसा नहीं है बल्कि सरकार के सभी मंत्रियों के साथ ऐसा ही हो रहा है। वे देर सवेर मुख्यमंत्री और सरकार की अकर्मण्यता के खिलाफ मूंह खोलने ही वाले हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने हर कार्यकाल में ब्यूरोक्रेशी को ज्यादा महत्व देते रहे हैं। अपनी सरकार के मंत्रियों पर भी ब्यूरोक्रेशी द्वारा नियंत्रण किया जाता रहा है। ब्यूरोक्रेशी वही करती है जो मुख्यमंत्री गहलोत इशारा कहते हैं। इसके परिणाम स्वरूप सचिन पायलेट, दिव्या मदेरणा, गिरिराजसिंह मलिंगा, गोपाललाल, वेदप्रकाश सोलंकी सहित दर्जनों कांग्रेसी विधायक गहलोत सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं। ब्यूरोक्रेशी द्वारा अपने ही मंत्रियों और विधायकों पर नियंत्रण करना कही न कही लोकतंत्र और सविधान का उल्लंधन है। ताजूब की बात तो यह है कि केन्द्र सरकार पर लोकतंत्र और संविधान का उल्लंघन करने का राग अलापने वाले मुख्यमंत्री गहलोत यह राज्य में बडी बखूबी से कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने हर कार्यकाल में ब्यूरोक्रेशी को ज्यादा महत्व देते रहे हैं। अपनी सरकार के मंत्रियों पर भी ब्यूरोक्रेशी द्वारा नियंत्रण किया जाता रहा है। ब्यूरोक्रेशी वही करती है जो मुख्यमंत्री गहलोत इशारा कहते हैं। इसके परिणाम स्वरूप सचिन पायलेट, दिव्या मदेरणा, गिरिराजसिंह मलिंगा, गोपाललाल, वेदप्रकाश सोलंकी सहित दर्जनों कांग्रेसी विधायक गहलोत सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं। ब्यूरोक्रेशी द्वारा अपने ही मंत्रियों और विधायकों पर नियंत्रण करना कही न कही लोकतंत्र और सविधान का उल्लंधन है। ताजूब की बात तो यह है कि केन्द्र सरकार पर लोकतंत्र और संविधान का उल्लंघन करने का राग अलापने वाले मुख्यमंत्री गहलोत यह राज्य में बडी बखूबी से कर रहे हैं।
देवनानी ने कहा कि हालही में आयोजित कांग्रेस का चिंतन शिविर मात्र कहने का चिंतन शिविर था। यह शिविर कांग्रेस के लिए चिंता और चिता से कम नहीं रहा। चिंतन शिविर के बाद से ही कांग्रेस के बिखरने का सिलसिला शुरू हो गया है। देशभर में एक के बाद एक दिग्गज कांग्रेसी नेता कांग्रेस को तिलांजलि देते दिख रहे हैं। देश कांग्रेस मुक्त की तरफ बढ रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों में राजस्थान कांग्रेस से मुक्त होगा शेष राज्य भी समय रहते कांग्रेस से मुक्त होने ही वाले हैं। वह दिन दूर नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा बहुत पहले देखा ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का स्वप्न साकार होगा।

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