अथर्ववेद परायण यज्ञ, वेद गोष्ठी और वैदिक विमर्श के साथ ऋषि मेला संपन्न

महर्षि दयानन्द सरस्वती के 139वें बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विश्व प्रसिद्ध ऋषि मेला रविवार को विभिन्न गोष्ठियों व सम्मेलनों के साथ व्यक्ति, समाज, देश और विश्व की समस्याओं और उनके समाधान पर विशेषज्ञ विद्वानों द्वारा विचार विमर्श के साथ संपन्न हुआ।
‘डिजिटल वर्ल्ड में आर्यसमाज’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में बोलते हुए महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय के महर्षि दयानन्द शोध पीठ के अध्यक्ष प्रो. डॉ. नरेश धीमान ने कहा कि आधुनिक युग के अनुसार विश्व के सब आर्यसमाजों का डिजिटलाइजेशन किया जाएगा और महर्षि दयानन्द के कार्य व साहित्य को सम्पूर्ण विश्व के सामने रखेगा।अग्रिम योजनाओं का परिचय देते हुए सुप्रसिद्ध कम्प्यूटर वैज्ञानिक प्रो. शत्रुञ्जय रावत (हैदराबाद) ने कहा कि महर्षि दयानन्द लिखित कालजयी ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश का विश्व कोष तैयार किया जाएगा। साथ ही चारों वेदों का शुद्ध स्वर सहित प्रकाशन किया जाएगा। एक वेद मन्त्र में कितने पद, स्वर व कितने अक्षर हैं, सब स्पष्ट होगा। भारतीय रेलवे व कई कम्पनियों के तकनीकी सलाहकार प्रो. डॉ. शत्रुञ्जय रावत ने कहा कि ऐसा एप तैयार किया जाएगा, जिसमें वेद मन्त्रों में उदात्त स्वर प्रचय आदि का निश्चय हो सकेगा। सामवेद की स्वर प्रक्रिया पर भी काम हो रहा। वैदिक गुरुकुलों को वेबसाइट बनाकर भी देंगे। उन्होंने सोशल मिडिया के लिए सावधान करते हुए कहा कि बिना जानकारी किए कोई भी मैसेज को फारवर्ड न करें, अन्यथा कानूनन दण्डित किये जा सकते हैं।विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि डिजिटल वर्ल्ड सक्रिय रहना आज बहुत जरूरी है, इसके जरिए मानव कल्याणकारी वेद और महर्षि दयानन्द के सन्देशों व विचारों को विश्व के अधिकाधिक लोगों तक पहुँचा सकते हैं। बंगलोर से जुड़ी आई.आई.टी. कानपुर की आई.टी. बी.टेक उत्तरा नेरुरकर ने कहा कि हमें डिजिटल वर्ल्ड के द्वारा कृण्वन्तो विश्वं आर्यम्=विश्व को श्रेष्ठ बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।आई.टी. इंजिनियर पीयूष चेन्नई ने कहा कि आई. टी. तकनीक के द्वारा हम वैदिक सत्य को विश्व में स्थापित कर सकते हैं।

महर्षि दयानन्द डिजिटल यूनिवर्सिटी की भी स्थापना होगी- गोष्ठी में बोलते हुए महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अनिल कुमार शुक्ला ने कहा कि महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय सिर्फ नाम का ही नहीं, बल्कि महर्षि के काम का विश्वविद्यालय होगा। विश्वविद्यालय वेद व महर्षि दयानन्द पर शोध पुस्तकें प्रकाशित करेगा तथा प्रचारित करेगा। इसी में मानवता की रक्षा है और आगे अच्छा मानव पैदा होंगे और महर्षि दयानन्द डिजिटल यूनिवर्सिटी की भी स्थापना होगी। महर्षि दयानन्द का मानना था कि विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान वेदों में है। पर हम वेद प्रचार में पिछड़ गए हैं। जब वेदों का प्रचार होगा तभी सम्पूर्ण जगत् का हित होगा। हम बच्चों और भावी माताओं को भी वेद-विचार सुनाएँ ताकि आज भी अभिमन्यु पैदा हों। आज प्रतिभाशाली भारतवंशी ही विश्व की तकनीक को नियन्त्रित कर रहे हैं।

अथर्ववेद परायण यज्ञ संपन्न: इस अवसर पर श्रद्धालुओ ने श्रद्धापूर्वक पूर्णाहुति प्रदान की। वेद मन्त्र की व्याख्या करते हुए यज्ञ के ब्रह्मा डॉ. प्रमोद योगार्थी ने कहा कि महर्षि दयानन्द के पवित्र संयमित जीवन से प्रेरणा लेने से हमारा भी उद्धार होगा। स्वामी दयानन्द अपने लेखन और प्रवचनों में भारत की पूर्ण स्वाधीनता और स्वराज्य के विचार प्रवाहित करते रहे। स्वामी जी का विचार था कि जब देश से जातिवाद, अन्धविश्वास, कुप्रथा, भाषावाद, प्रान्तवाद, कुरीतियों का नाश होकर वेदज्ञान और एक भाषा हिन्दी और शिक्षा का प्रचार-प्रसार होगा, तभी देश स्वतन्त्र होगा।उन्होंने कहा कि नारियों को अनिवार्य रूप से शिक्षित करने का विचार देने वाले महर्षि दयानन्द देश का पहले चिन्तक थे। इस विचार के लिए नारी शिक्षा विरोधियों ने उन पर जगह-जगह पत्थर बरसाते थे। यज्ञोपरान्त प्रवचन में स्वामी विष्वङ् ने कहा कि जो यज्ञ नहीं करता वह तेजहीन हो जाता है उसकी बुद्धि-विवेक पूर्णरूप से काम नहीं करते। शास्त्रों में स्वर्गकामोयजेत, ”ग्राम कामोयजेत” आया है अर्थात् ग्राम, प्रान्त, देश को नेता बनना है तो यज्ञ करो। आज अयोग्य लोग बिना यज्ञ किए नेता बन जाते हैं और समाज देश की हानि करते हैं। यज्ञ का अर्थ है- ज्ञानियों के मार्गदर्शन, नेतृत्व में एकताबद्ध होकर अपना देश समाज का हित उपकार करना। आज एकताबद्ध होकर ही हम आतंकवाद और भ्रष्टाचार को जीत सकते है।
महर्षि की दृष्टि में स्वदेशी व आर्यों के कर्त्तव्य व्याख्यान- पर बोलते हुए आचार्य रवीन्द्र ने कहा कि जिस देश का अन्न हमने खाया, उसकी उन्नति और भलाई के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए। महर्षि दयानन्द ने सब जगह कृष्यादि रक्षिणी सभा सब जगह स्थापित करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि जब देश में देशी गाय रसायन-खाद मुक्त कृषि, कुटीर उद्योग और गाँव बचेंगे व उन्नति करेंगे तभी देश का यथार्थ कल्याण होगा। महर्षि दयानन्द ने- स्वराज्य, स्वभाषा, स्व संस्कृति-स्वदेशी का नारा जन-जन के हित के लिये दिया था। हम दिवाली में मिट्टी का दीपक (कुम्हार का बना) खरीदें, गर्मियों में मिट्टी का घड़ा लें। जब सबको रोजगार मिलेगा तभी समाज में शान्ति रहेगी।

वैदिक साहित्य की बिक्री – ऋषि मेला में महर्षि दयानन्द द्वारा लिखित ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश, व्यवहार भानु, ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका, वेद सहिंता, डॉ. धर्मवीर द्वारा द्वारा लिखित एवं अन्य वैदिक पुस्तकों की भी खासी बिक्री हुई।

*वेदपाठी सम्मान*- वेद कण्ठस्थीकरण प्रतियोगिता के विजेताओं को नगद राशि, मार्गव्यय व पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित किया गया। ऋग्वेद कण्ठस्थ प्रथम पुरस्कार चिन्मय कुलकर्णी, पूना 25000 यजुर्वेद कंठस्थ- प्रथम- आदर्शन कुमार पात्र 15000 द्वितीय- दिव्या कुमावती, गुरुकुल शिवगंज, राजस्थान 13000 अथर्ववेद- प्रथम- मुरली शर्मा, उड़ीसा 20000 सर्वोत्तम कार्यकर्ता पुरस्कार – अंकुश आर्य, गंगापुर सिटी, 11000आचार्य वेदनिष्ठ आर्य- अध्यापक-पुरस्कार – 11000

error: Content is protected !!