अनु. जाति वर्ग व जातियों की जनगणना की जाए

आज अजमेर जिला कलेक्टर को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया ज्ञापन में कहा गया की वर्तमान समय में समय के साथ सभी क्षेत्रों में अनु. जाति वर्ग की संख्या बढ़ी है। पूर्व में भी अजमेर जिले में भी, केकड़ी व अजमेर शहर में एक-एक अनु.जाति आरक्षित सीट थी जिसमें परिसीमन की अवधि के मध्य में ही केकड़ी को सामान्य सीट घोषित कर दिया गया है जो कि विचारणीय है जिसका सीधा नुकसान अनु. जाति वर्ग के मतदाताओं को हुआ है। इस वर्ग की एक विधानसभा का नुकसान अजमेर जिले में हुआ है।

सभी राजनैतिक दल भी सामान्य सीट जो की सभी वर्गों के लिए होती है। एक प्रकार से अनारक्षित सीट होती है। इन सीटों पर भी दलित वर्ग, अनु.जाति के उम्मीदवारों को अवसर नहीं देती है। फलस्वरूप अनु जाति उम्मीदवारों के सामने एक मात्र रास्ता आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने का रह जाता है। यूं तो अनु. जाति उम्मीदवार इन सीटों पर भी चुनाव लड़ने के योग्य है. परन्तु वर्तमान राजनैतिक दलों की उदासीनता के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा हैं। राजनैतिक दलों को भी इस विषय में चिंतन करना आवश्यक है।

वर्तमान में चंद लोगों ने जिला कलेक्टर को मूर्खतापूर्ण तरीके से जानकारी ना होते हुए ज्ञापन देकर अजमेर जिले में एक मात्र आरक्षित अनु. जाति विधानसभा सीट अजमेर दक्षिण को सामान्य सीट बनाए जाने को गलत व बेवजह बेबुनियाद तथ्यों का हवाला देकर इसको सामान्य सीटबनाए जाने का ज्ञापन दिया है। जिससे दलित समाज को चिन्हित कर दक्षिण विधानसभा सामान्य सीट की मांग से समाज मे रोष व्याप्त है। सर्व बहुजन समाज इस विषय मे केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की कि आने वाले वर्षों में जब भी अनु. जाति वर्ग व जातियों की जनगणना की जाए व उनके अनुपात में शासन, प्रशासन, लोक सभा व विधानसभा में इस वर्ग की भागीदारी एवं प्रतिनिधित्व सुनिश्चित की जाए ।

हृदय विदारक घटनाओं, खेल उपलब्धियों, प्रतिभाओं के मामले में प्रायः यह देखा जाता है कि पीडित यदि उच्च जाति या वर्ग से सम्बन्ध रखता हैं तो उसे अधिक मुआवजा राशि व परिवार को नौकरी इत्यादि दी जाती है। पीडित यदि दलित वर्ग का हो तो अल्प मुआवजा राशि दी जाती है। अनु. जाति का व्यक्ति पीड़ित होकर के भी उपलब्धियों को पाकर के भी प्रशासनिक छूआछूत से पीड़ित रहता है। इसलिये आपके जरिये श्रीमान् प्रधानमंत्री महोदय व मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध है कि गंभीर त्रासदी, हृदय विदारक घटनाओं खेल उपलब्धियों, प्रतिभाओं के मामले में एक समान मुआवजा राशि दी जाये।

वर्तमान समय में दलित उत्पीड़न की घटनाऐं निरन्तर बढ़ी हैं। एन्ट्रोसीटी एक्ट कानून (दलित अत्याचार उन्मूलन निवारण कानून) का पालन ढंग से नहीं किया जा रहा है। पुराने कानून में एफ.आई.आर. दर्ज होने के तुरन्त बाद गिरफ्तारी का प्रावधान था, जांच थाना स्तर पर की जाती थी। जब लोकसभा में पुराना कानून पुराने स्वरूप में बहाल कर दिया गया है, तो उसके बावजूद संशोधित कानून के अनुसार कार्य किया जा रहा है। जिसके कारण दलित उत्पीड़न की घटनाऐं बढ़ी हैं। अतः आपके जरिये श्रीमान् प्रधानमंत्री महोदय व मुख्यमंत्री महोदय से निवेदन है कि दलित उत्पीड़न अत्याचार निवारक कानून एन्ट्रोसीटी एक्ट की पूर्ण पालना उसके उद्देश्य सहित प्रदेश व देश में लागू हो।

वर्तमान में अजमेर जिले में आठ विधानसभा सीटें हैं। जिसमें चार सीटों नसीराबाद, पुष्कर, ब्यावर, किशनगढ में लगातार ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व रहा है। केकड़ी और मसूदा ब्राह्मण समाज व अजमेर उत्तर सिन्धी समाज के खाते में है। केवल एक मात्र अनु. जाति सुरक्षित सीट अजमेर दक्षिण विधानसभा है। इस प्रकार सभी वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है। फिर भी कुछ लोगों ने अजमेर शहर में सामाजिक भ्रम फैलाने की कोशिश की है। इस भ्रम को दूर करने बाबत् सामाजिक आर्थिक व जाति आधारित जनगणना की हम सभी की मांग है।बनाए जाने का ज्ञापन दिया है। जिससे दलित समाज में रोष व्याप्त है। सर्व बहुजन समाज इस विषय मे केन्द्र व राज्य सरकार से मांग करता है कि अनु. जाति वर्ग व जातियों की जनगणना की जाए व उनके अनुपात में शासन, प्रशासन, लोक सभा व विधानसभा में इस वर्ग की भागीदारी एवं प्रतिनिधित्व सुनिश्चित की जाए ।

हृदय विदारक घटनाओं, खेल उपलब्धियों, प्रतिभाओं के मामले में प्रायः यह देखा जाता है कि पीडित यदि उच्च जाति या वर्ग से सम्बन्ध रखता हैं तो उसे अधिक मुआवजा राशि व परिवार को नौकरी इत्यादि दी जाती है। पीडित यदि दलित वर्ग का हो तो अल्प मुआवजा राशि दी जाती है। अनु. जाति का व्यक्ति पीड़ित होकर के भी उपलब्धियों को पाकर के भी प्रशासनिक छूआछूत से पीड़ित रहता है। इसलिये आपके जरिये महामहिम राष्ट्रपति श्रीमान् प्रधानमंत्री महोदय व मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध है कि गंभीर त्रासदी, हृदय विदारक घटनाओं खेल उपलब्धियों, प्रतिभाओं के मामले में एक समान मुआवजा राशि दी जाये।

1 thought on “अनु. जाति वर्ग व जातियों की जनगणना की जाए”

  1. भाई साहब आपके द्वारा बहुजन समाज की आवाज जन जन तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद।
    यह संघर्ष सिर्फ दक्षिण विधानसभा एससी सीट को चिन्हित करने के लिए किया गया था हम सबको बुद्धिजीवियों ज्ञात है यह सारे अधिकार चुनाव आयोग एवं राष्ट्रपति के कार्य क्षेत्र में आते हैं परंतु जिस प्रकार सिर्फ दक्षिणी सीट को लेकर ज्ञापन दिया गया था अनुसूचित जाति को चिन्हित करने की वजह से यह ज्ञापन दिया गया।

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