ग्रामसेवक पर टेंडर प्रक्रिया में धोखाधड़ी का आरोप

अजमेर। एक ठेकेदार सुनिल कुमार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त अधीक्षक को पत्र लिख कर शिकायत की है कि ग्राम पंचायत भगवानपुरा पंचायत समिति पीसांगन के ग्राम सेवक द्वारा अपने चहेतों को टेंडर देने हेतु की गई जालसाजी व धोखाधड़ी की गई है।
पत्र में लिखा है कि ग्राम पंचायत भगवानपुरा द्वारा चार निर्माण कार्यों के लिये दिनांक 19.12.2012 को निविदा निकाली गई थी। प्रार्थी सार्वजनिक निर्माण विभाग अजमेर में पंजीकष्त ठेकेदार है, जो कि अखबार में निकाली गई उक्त निविदा विज्ञप्ति के अनुसार दि. 02.01.2013 को ग्राम पंचायत में निविदा प्रपत्र क्रय करने गया। कार्यालय में सरपंच व ग्राम सेवक के उपलब्ध न होने पर ग्राम सेवक से अपने मोबाईल पर निविदा प्रपत्र क्रय करने संबधी बात की। उन्होंने बताया कि जरूरी मीटिंग होने की वजह से वे आज अजमेर आ गये हैं। साथ ही यह भी कहा टेण्डर तो हम पीसांगन के लोकल व्यक्ति को ही देंगे लेकिन मेरे द्वारा जाने पर जोर दिये जाने पर उन्होंने कहा कि मैं अपने आवेदन पत्र व निविदा राशि पास की दुकान पर रख दूं। उन्होंने बताया कि वे अजमेर में वैशाली नगर में रहते हैं और बड़े विस्तार से मेरे घर का पता भी पूछा और कहा कि कल दि. 03.01.2013 को मैं निविदा की कॉपी अजमेर ले आउंगा। मैने उनकी बात पर विश्वास करते हुये अपने आवेदन पत्र व निविदा राशि उनके कहे अनुसार दुकान पर रख दी। उसी दिन षाम को वे मेरे घर पर आये और साधारण बातचीत के दौरान चारों टेंडर मेरे नाम छोडऩे की गारंटी लेते हुये पचास हजार रुपए की मांग की। इसमें से बीस हजार अग्रिम लिये जाने की बात भी कही, लेकिन मैने ऐसा करने से इंकार कर दिया और मैने कहा कि मैं एक भी रुपया घूस का देने वाला नहीं हूं। आपको नियमानुसार कॉपी देनी होगी। मेरी इस बात पर ग्राम सेवक ने कहा कि कोई बात नहीं अपन एक ही शहर के हैं आपको कल मैं निविदा की कॉपी लाकर दे दूंगा मेरे से जितनी मदद होगी, करूंगा।
अगले दिन दि. 03.01.2013 को मैने दोपहर बाद में जब अपने मोबाईल से उनसे बात की तो ग्राम सेवक ने कहा कि टेंडर तो किन्हीं कारणों से निरस्त हो गये हैं। आगे और भी काम शामिल करते हुये नई निविदा निकाली जायेगी। निविदा निरस्तगी की सूचना अखबार में निकलवा दी जायेगी। मैने कहा कि कल 04.01.2012 को मैं अपनी निविदा राशि और टेंडर निरस्तगी की सूचना प्रति लेने आ रहा हूं। जब मैं अगले दिन 04.01.2013 को पंचायत कार्यालय गया तो ग्राम सेवक ने बताया कि टेंडर तो डाले जा चुके हैं। साथ ही मुझसे कहा कि तुमसे जो बनता हो कर लेना। मैं किसी से नहीं डरता। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि भगवानपुरा ग्राम पंचायत के ग्राम सेवक ने कपटपूर्वक व छलपूर्वक मुझे टेंडर प्रकिया में भाग लेने से वंचित रखा, जो कि स्पष्ट रूप से उसकी नीयत में खोट को प्रकट करता है। यह भी उल्लेखनीय हैं कि ग्राम वासियों के अनुसार ग्राम पंचायत द्वारा कराये जाने वाले ज्यादातर कार्य सरपंच के भाई को ही दिये जाते हैं।
पत्र में लिखा है कि एक राजकीय कर्मचारी व जन सेवक इस तरह से अपने अधिकारों को गलत इस्तेमाल कर सरकारी धन की लूट कर रहे हैं। पूरा देश भ्रष्टाचार की आग में जल रहा है, जिसके लिये ऐसे ही कर्मचारी और नेता जिम्मेदार हैं जो अपनी स्वार्थपूर्ती के लिये देश को बेच देना चाहते हैं। निवेदन है कि ऐसे भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्यवाही कर उनकी समस्त सम्पत्ति जब्त कर ली जानी चाहिये तथा देशद्रोह का दोषी मानते हुये सख्त सजा दी जानी चाहिये ताकि भ्रष्टाचार में लिप्त देशद्रोहियों के मन में ऐसा न करने का भय व्याप्त हो। प्रार्थना है कि उक्त निविदा को निरस्त करते हुये जांच बैठाई जाये और शिकायतकर्ता को हुये मानसिक व आर्थिक नुकसान की भरतपाई दोशी ग्राम सेवक से करवाई जाये। यह जानकारी आरटीआई जन चंतना मंच के तरुण अग्रवाल ने दी।

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