*शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में शिक्षक दिवस पर प्रवचन*
भीलवाड़ा, 5 सितम्बर। हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान गुरू का होता है। गुरू होने से हम वितराग वाणी का श्रवण कर पा रहे है। जिनवाणी सुनने वाले अन्तरात्मा से परमात्मा बन सकते है। जीवन में बच्चे के लिए मां प्रथम गुरू होती है जो उसे संस्कार देती है। इसके बाद शिक्षा प्रदान करने वाला ओर फिर धर्म के पथ से जोड़ने वाला गुरू होता है। गुरू ही हमे इंसान से भगवान बनने की राह दिखाता है। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक (वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत गुरूवार को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन में गुरू अनमोल है। गुरू के बिना हमे ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। महावीर को केवलज्ञान मिल गया तो वह तीन लोक के शासनपति बन गए। भगवान की देशना भव्य जीवों को उपदेश सुनने के लिए ही वाणी मिलती है। जिन्हें हम आज महापुरूष मानते है वह अपने गुरूओं का आशीर्वाद लेकर ही बन पाए। गुरू का आशीष व्यक्ति को हर सफलता दिलाता है। आचार्यश्री ने कहा कि एक लौकिक गुरू होते है जिन्हें शिष्य ही सम्मान दे सकता है ओर ऐसे गुरू के लिए ही शिक्षक दिवस मनाते है। दूसरे गुरू अलौकिक होते है जो होनहार शिष्यों को मूल्यवान बनाते है। ऐसे गुरू शिष्य को अपने पुत्र से भी ज्यादा प्यार देते है। जिनशासन में जब तक निग्रन्थ है जिनशासन जयवंत रहेगा। उन्होंने कहा कि आज महामना आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज का समाधि दिवस भी है जिन्होंने पूरे विश्व को प्रकाश दिया। ऐसे महापुरूष जिनशासन की आन,बान,शान है। इससे पूर्व प्रवचन में मुनिश्री शुभेय सागरजी ने कहा कि तुम भगवान से मत चाहो उनको चाहो। भगवान से चाहने वाला बहिरात्मा ओर भगवान को चाहने वाला अन्तरात्मा है। हमारी यही चाह होती है कि जो भगवान छोड़ कर गए वह हमे मिल जाए। कोई ये नहीं चाहता है कि मैं भगवान बन जाउ। जब तक मन से अशुचिता दूर नहीं होगी तब तक भगवान बनने के पात्र नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि जहां धर्म है वहां शर्म नहीं हो सकती। धर्म की प्रभावना के लिए शर्म छोड़नी पड़ती है। हम स्वयं को बदल पाएंगे तभी कल्याण होगा। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा में चातुर्मास एवं पर्युषण पर्व में सौधर्म इन्द्र विधान पूजा पुण्यार्जक बनने पर श्रेष्ठी भागचंद विजय काला परिवार एवं पदमलाल सुंदरदेवी सरावगी परिवार का समाज द्वारा स्वागत अभिनंदन करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए हार्दिक अनुमोदना की गई। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।
*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
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