आज दिनांक 19 फरवरी – राजस्थान विधानसभा में बुधवार को उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री दीया कुमारी द्वारा प्रस्तुत बजट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव डॉ. सुनील लारा ने जनविरोधी, दिशाहीन और खोखले वादों का पुलिंदा करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बजट न तो जनता की समस्याओं का समाधान करता है और न ही प्रदेश के वास्तविक विकास की कोई ठोस रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
डॉ. लारा ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि किसानों के साथ यह सरकार पूरी तरह से विश्वासघात कर रही है। चुनाव से पहले किसानों के कर्जमाफी और बिजली सब्सिडी को बढ़ाने जैसे बड़े वादे किए गए थे, लेकिन बजट में इन मुद्दों पर सरकार मौन है। राज्य के लाखों किसान जिनकी फसलें मौसम की मार और कर्ज के बोझ से जूझ रही हैं, उन्हें कोई राहत नहीं दी गई। इसी तरह बेरोजगार युवाओं के लिए भी यह बजट निराशाजनक साबित हुआ। सरकार ने महज कौशल विकास और अप्रेंटिसशिप जैसी योजनाओं की दुहाई दी है, लेकिन नए सरकारी पदों पर भर्ती और निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने को लेकर कोई ठोस नीति पेश नहीं की। बेरोजगार युवाओं को सिर्फ आंकड़ों की चकाचौंध में उलझाने की कोशिश की गई है।
प्रदेश में स्वास्थ्य और शिक्षा दो सबसे अहम मुद्दे हैं, लेकिन बजट में इन क्षेत्रों की उपेक्षा साफ झलक रही है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी के बावजूद, स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट में कोई ठोस वृद्धि नहीं की गई। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। शिक्षा के मामले में भी सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस योजना नहीं पेश की गई। नई भर्तियों और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार पर बजट में खास ध्यान नहीं दिया गया, जिससे यह साफ होता है कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के मूड में नहीं है।
डॉ. लारा ने कहा कि बजट में विकास नहीं, सिर्फ घोषणाओं का दिखावा किया गया है। यह बजट वास्तविक विकास से अधिक प्रचार और दिखावे पर केंद्रित है। बड़ी-बड़ी घोषणाओं और भारी-भरकम आंकड़ों के जरिए जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई है। यह बजट प्रदेश के आम आदमी के लिए नहीं, बल्कि चंद बड़े उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के हितों को साधने के लिए तैयार किया गया है।
डॉ. लारा ने कहा कि राजस्थान का यह बजट जनता को ठगने का दस्तावेज है। भाजपा सरकार ने सत्ता में आने से पहले जो वादे किए थे, वे अब केवल खोखले जुमले साबित हो रहे हैं। बजट में न तो किसानों की परवाह की गई है, न ही बेरोजगारों की, न ही गरीबों की भलाई की बात की गई है। यह बजट जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात है।
(डॉ. सुनील लारा)
प्रदेश सचिव
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