पैसों के लालच में आकर की महंत की हत्या

ब्यावर । पुलिस ने मंगलवार को महंत विश्वम्भरदास की हत्या का पर्दाफाश कर दिया। महंत की हत्या अजमेर के तीन युवाओं ने पैसों के लालच में आकर की थी। इनमें 18 साल की एक लड़की भी शामिल है। पुलिस उपाधीक्षक गोपीसिंह शेखावत ने शहर थाने में वारदात का खुलासा करते हुए बताया कि पुलिस ने हत्या के आरोप में अजमेर के क्रिश्चयनगंज थाना क्षेत्र के दाता नगर निवासी दीपक उर्फ दीपू (22) पुत्र रामगोपाल सेन, शुभम उर्फ नानू (18) पुत्र मूलचंद माली व मोनिका उर्फ मोना (18) पुत्री गोपाल मेघवंशी को गिरफ्तार किया है। बुधवार को तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जाएगा।

शैतानी दिमाग ने रची साजिश

महंत जब अजमेर के सीताराम आश्रम में रहते थे तब से दीपू परिचित था। कई बार ब्यावर आता और रात्रि में महंत के आश्रम में ही रूकता। तीन चार बार अपनी गर्लफ्रेण्ड मोनिका उर्फ मोना को भी साथ लाया था। दोनों आश्रम में रात गुजराने के बाद सवेरे अजमेर लौट जाते थे। मुलाकात के दौरान मोनिका ने महंत को बताया कि वह गरीब है और घरवाले शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ है। महिला की आपबीती सुनने के बाद महंत ने उसे आर्थिक सहायता देना शुरू कर दिया। तब से दीपक और मोनिका महंत के काफी नजदीक आ गए। महंत ने दोनों को बच्चों की तरह स्नेह व अपनापन दिया। नजदीकी और लगाव के बीच दोनों के शैतानी दिमाग में हरकत हुई। मन में लालच आने पर इन्होंने संपत्ति हड़पने की साजिश रची।

5 लाख रुपए की डिमाण्ड

मोना और दीपक ने अपने मित्र शुभम उर्फ नानू को योजना बताई और महंत को ब्लैकमेल करने का षड्यंत्र रचा। साजिश के तहत लड़कों ने महंत से कहा कि लड़की अनैतिक कृत्य करने का आरोप लगा रही है। समाज में बदनामी के भय से महंत ने रुपए देने शुरू कर दिए। इससे शैतानों का हौंसला बढऩे लगा। वारदात से कुछ दिन पूर्व तीनों ने महंत से पांच लाख रुपए मांगें। महंत ने रुपए देने से इंकार किया तो उन्होंने हत्या कर संपत्ति के कागजात चुराने का मानस बनाया। तय योजना के अनुसार गत 24 जनवरी की रात तीनों बाइक पर सवार होकर ब्यावर आए। यहां आश्रम पहुंचकर उन्होंने महंत को धमकाया कि रुपए दो, वरना बलात्कार का आरोप लगाएंगें। घबराहट के बीच महंत ने पानी मांगा तो मोनिका ने पानी में जहर मिलाकर दे दिया। पानी पीते ही महंत को तबीयत बिगडऩे लगी। इस बीच तीनों ने मिलकर कपड़े से फंदा बनाकर महंत का गला घोंट दिया। हत्या के बाद आत्महत्या का रूप देने के लिए शरीर को पंखे से बांधने की कोशिश भी की। नाकाम रहने पर वे शव को खिड़की से बांधकर फरार हो गए।

ऐसे सुलझी गुत्थी

महंत की हत्या के बाद पुलिस ने स्पेशल टीम का गठन किया। तहकीकात में मालूम हुआ कि महंत को आश्रम व ट्रस्ट की जमीन पर बनी दुकानों के किराए व पगड़ी के रूप में मोटी राशि प्राप्त होती थी। संदेह हुआ कि वारदात का कारण महंत की संपत्ति हो सकती थी। महंत से जुड़े हर शख्स से पूछताछ शुरू की गई। महंत के मोबाइल की कॉल डिटेल में दीपू का नाम आने पर पुलिस उस तक पहुंच गई। हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो दीपू ने सारे राज उगल दिए। पुलिस ने सक्रियता व तत्परता के साथ काम करते हुए महज 10 दिन में ब्लाइंड मर्डर केस की गुत्थी सुलझा दी। पुलिस की स्पेशल टीम में एसआई उदयसिंह, एएसआई रामदयाल, कांस्टेबल शेरसिंह, विजयसिंह, प्रवीण चौधरी व जगमाल सिंह ने अहम भूमिका निभाई।

– सुमित सारस्वत, पत्रकार

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