मौलाना आजाद की पुण्यतिथी मनायी गई

abbul kalam pune tithi 02अजमेर। आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे मौलाना अबुल कलाम आजाद की शुक्रवार को 55वीं पुण्यतिथी मनायी गई। देशभर में हर साल 11 नवंबर को कलाम के जन्मदिन को शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। वहीं 22 फरवरी को मौलाना कलाम की पुण्यतिथी पर आजाद पार्क में लगी कलाम की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित कर उनके बताये मार्गां पर चलने का सकंल्प लिया गया। जन सेवा समिति और शहर महिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कलाम की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और माल्यापर्ण कर उन्हे श्रृद्धांजलि दी और उनके द्वारा बताये शिक्षा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

वहीं इण्डोर स्टेडियम में माध्यमिक षिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. पी.एस. वर्मा ने कहा कि देष के प्रथम षिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने आजाद भारत की षिक्षानीति की रचना करके षिक्षा व्यवस्था की ऐसी बुनियाद रखी जिसके रास्ते पर चलकर देष ने न सिर्फ तरक्की की, बल्की आज समूचे विष्व में हर क्षेत्र में भारत अपनी अलग अहमियत रखता है। यह विचार उन्होने महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति एवं मौलाना आजाद लोक कल्याण संस्थान के सयुक्त तत्वावधान में मौलाना आजाद की 55वीं पुण्यतिथि के अवसर पर इन्डिोर स्टेडियम में वर्तमान षिक्षा व्यवस्था और मौलाना आजाद विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अथिति की हैसियत से व्यक्त किये। उन्होने कहा कि मौलाना आजाद का जीवन दर्शन एवं षिक्षा नीति भावी पिढ़ी के लिऐ प्रेरणास्पद है। स्वतंत्रता के बाद उन्होने भारत सरकार के प्रथम षिक्षामंत्री के रूप में 11 वर्षो तक कार्य कर देष की षिक्षा व्यवस्था का ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार किया कि देष में आने वाली गैर कांग्रेसी सरकारें चाह कर भी उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकीं।

उन्होने कहा कि यह मौलाना आजाद की सोच और मेहनत का नतीजा ही हे कि देष मे 50 के दषक में ही आई.आई.टी., यू.जी.सी., सेन्ट्रल बोर्ड, ऐ.आई.सी.टी.ई., ललित कला अकादमी, साहित्य कला अकादमी जैसी महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना हो सकी। यही कारण है कि यह संस्थान भारतीय षिक्षा व्यवस्था में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हुऐ विष्व स्तर पर प्रतिष्ठित हैं, उन्होने मौलाना आजाद के प्रेरक व्यक्तीत्व विषय में जन-जन को जानकारी उपलब्ध कराने की जरूरत बताई और आव्हान किया कि नई पीढ़ी को उनके आर्दषों को आत्मसात करना चााहिये।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुऐ श्रमजीवी महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. अनन्त भटनागर ने मौलाना आजाद के व्यक्तीत्व के अनेक पहलुओं का उदाहरण देते हुऐ कहा कि उनकी षिक्षा नीति और दर्षन वर्तमान परिवेष में भी भारतीय षिक्षा व्यवस्था के मार्गदर्षक हैं। डाॅ भटनागर ने कहा कि सर्व प्रथम मौलाना आजाद ने ही षिक्षा का अधिकार की वकालत की और 14 साल तक के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य षिक्षा उपलब्ध करवाया जाना सरकार का दायित्व बतलाया था। वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा लागु किया गया निषुल्क षिक्षा का अधिकार अधिनियम मौलाना आजाद के इस सपने को साकार करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होने मौलाना आजाद के सादगीपुर्ण जीवन का उदाहरण देते हुऐ कहा कि उनकी मृत्यु के समय उनके पास ना तो कोई निजी सम्पत्ती थी और ना ही काई बौंक अकाउन्ट।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुऐ पूर्व विधायक एव ंबीस सूत्रिय कार्यक्रम क्रियांवयन समिति के उपाध्यक्ष डाॅ श्री गोपाल बाहेती ने भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को स्थापित करने में मौलाना आजाद की अनुकरणीय पहल की सराहना करते हुऐ कहा कि उनका देष की अखण्डता के लिये योगदान अविस्मणिय रहेगा। कहा कि मोलाना आजाद ने अखण्ड भारत का सपना देखा था इसी लिऐ देष के विभाजन को उन्होने अंतिम सांसों तक स्वीकार नहीं किया। डाॅ. बाहेती ने इस अवसर सरकार को यह प्रस्तावित करने का निर्णय लिया कि षिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च सम्मान मौलाना आजाद के नाम से किया जाना चाहिये।
संगोष्ठी को पार्षद गुलाम मुस्तुफा, इरफान आजम, बातून बेगम ने भी संबोधित किया संचालन मौलाना आजाद लोक कल्याण संस्थान के अध्यक्ष मुजफ्फर भारती ने किया अन्त में धन्यवाद उमेष शर्मा ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर सर्व श्री डी.एल. त्रिपाठी, डाॅ सुरेष अग्रवाल, डाॅ आलोक श्रीवास्तव, डाॅ मुन्नालाल अग्रवाल, विजय जैन, बलराम शर्मा, सूकेश कांकरिया, नईम खान, मौलाना जान मोहम्मद, सबा खान सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया। इस अवसर पर रंगकर्मी एवं लेखक उमेष चैरसिया ने अपनी पुस्तकें षिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष को भेंट की। कार्यक्रम से हैदराबाद में हुऐ आतंकी हमले का षिकार होकर मृत्यु हुऐ लोगों को दो मिनट का मौन रख कर श्रधांजलि दी जाकर घायलों को षिघ्र स्वास्थय लाभ की कामना की गई।

error: Content is protected !!