अजमेर में पांच साल में 91 मंदिरों मे हुई चोरी

devnaniअजमेर। अजमेर उत्तर विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने द्वारा विधान सभा में कानून व्यवस्था के सम्बंध में पूछे गये सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने पुलिस की नाकामियों की पोल खोल कर रख दी। देवनानी ने कहा कि पिछले पांच सालों में मन्दिरों में चोरी के 91 मामले दर्ज हुए है जिनमें से चोरी के 52 प्रकरणों में अभी तक पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। उन्होंने बताया कि जैन एवं सनातन मंदिरों में चोरी की घटनाओं से अजमेर के लोगों की आस्था पर प्रहार होते रहे और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। जबकि अपराधियों ने न केवल मंदिरों में चोरियां की बल्कि उनके महन्तों और साधु-सन्यासियों को भी मौत के घाट उतार दिया। भिनाय के योग माया वैष्णव देवी मंदिर के गोपालदासजी महाराज एंव पुष्कर स्थित रावत समाज मंदिर के महंत सेवागिरीजी के हत्यारों का भी पुलिस कोई सुराग आज तक नहीं लगा पाई। सरकार ने हत्या के इन दोनों प्रकरणों पर एफआर लगा दी। उन्होंने बताया कि गत पांच साल में 3954 बलात्कार, हत्या, चोरी और चैन स्नेचिंग के प्रकरण अजमेर जिले में दर्ज हुए है जिनमें से मात्र 300 प्रकरणों में दोषियों को सजा हुई है। उन्होंने बताया कि बलात्कार के 286 मामलों में से 28, हत्या के 227 मामलों में 35, चोरी के 3371 मामलों में से मात्र 235 तथा चैन स्नेचिंग के 70 प्रकरणों में से मात्र 2 प्रकरणों में ही दोषियों को सजा हो पाई है।
देवनानी ने कहा कि एक ओर अपराधियों के बढ़ते हौसलों से आमजन चिन्तित है वही पुलिस आंकण्ठ भष्टाचार में डूबी हुई है। गत वर्षो में अजमेर में तीन आईपीएस सहित कई पुलिस कर्मियों पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों ने कार्यवाही की है जिनमें अजमेर के पुलिस कप्तान तक को थानों से मन्थली वसूली के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि एसपी मीणा के मन्थली प्रकरण में अजमेर के अधिकांश थानाधिकारियों की लिप्तता उजागर होने के बाद गत वर्षो में जिले में घटित अपराधों के जो आकड़े सामने आये है वो स्वाभाविक ही प्रतीत होते है।
निरर्थक आलोचना और अनावश्यक तारीफ से दूर रहे पक्ष-विपक्ष
अजमेर। अजमेर उत्तर विधायक एवं पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने शुक्रवार को विधान सभा में एक गैर सरकारी संकल्प पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सदन में दलगत राजनीति से ऊंचा उठकर जनहित के विषयों पर सार्थक बहस होनी चाहिए तथा सत्तापक्ष और विपक्ष को अनावश्यक तारीफ व निरर्थक आलोचना से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में विधायिका के उपर विष्वास कम होता जा रहा है। गत वर्षो में जिस प्रकार सदन की बैठकें कम हुई तथा न्यायपालिका का हस्तक्षेप बढ़ने लगा है यह विचारणीय है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था में सुधार के लिए तीनों पक्षों को सामूहिक प्रयास करने हांेगे- सत्ता पक्ष, विपक्ष एवं आसन। इन तीनों पक्षों की जिम्मैदारी है कि सदन में कैसे निर्णायक व निष्कर्ष परक बहस होकर जनहित के निर्णय लिये जाऐ तथा सदन की अधिक से अधिक बैठके हो।
उन्होंने इस सम्बंध मंे आसन की भूमिका को अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि गलत को गलत तथा सही को सही ठहराने में अध्यक्ष व आसन का निष्पक्ष निर्णय होना चाहिए साथ ही हॉ और ना पक्ष की भी यह जिम्मैदारी है कि वे आसन के प्रति सम्मान बनाऐं रखे।
उन्होंने इस सम्बंध में नये विधायकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था किये जाने के साथ ही विधान सभा की समितियों को अधिक शक्तियां देने का सुझाव भी रखा। उन्होंने विधान सभा की विभिन्न समितियों को बैठके करने तक सीमित किये जाने को गलत ठहराया। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में अधिकांश मंत्री बिना तैयारी के अधिकारियों द्वारा तैयार किये गये जवाब को लेकर उपस्थित होते है जबकि सम्बंधित मंत्री को विषय की पूर्ण जानकारी एवं परिस्थितियों को समझते हुए पूरी तैयारी के साथ सदन में जवाब प्रस्तुत करना चाहिए।

सेवानिवृति परिलाभ दिये जाने का सरकार का नही है कोई विचार
अजमेर। अजमेर उत्तर विधायक एवं पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी द्वारा राजस्थान विधान सभा में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी कि आंगनबाड़ी में कार्यरत कार्यकर्ता, सहायिका, सहयोगिनियों तथा ग्राम साथिनों को स्थायी किये जाने अथवा अठावन वर्ष की आयु पूर्ण करने पर हटायी जाने वाली आंगनबाड़ी की इन कायकर्ताओं को कोई सेवानिवृति परिलाभ दिये जाने का सरकार का कोई विचार नहीं है। देवनानी ने बताया कि सरकार ने अपने जवाब में महिला एवं बाल विकास विभाग के एक परिपत्र का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दी जाने वाली सेवाऐं मानदेय आधारित स्वैच्छिक सेवा भावना से किये जाने वाली सामाजिक सेवा है। इस सेवा के लिए राजकीय सेवा के समान किसी प्रकार के पेंशन, ग्रेच्युटी आदि परिलाभ देय नहीं है।

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