महानाटक ‘स्वामी विवेकानन्द‘ का मंचन हुआ

ajmer vivekanand 0 4 ajmer vivekanand 0 3अजमेर। विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की अजमेर शाखा के तत्वावधान में महानाटक ‘स्वामी विवेकानन्द‘ का मंचन कुन्दन नगर स्थित केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ग्रुप केन्द्र-1 के खुले रंगमंच पर हुआ। संचालन कर रहे उमेश कुमार चौरसिया ने बताया कि देशभर में इस वर्ष मनाये जा रहे स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह के तहत स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक जीवन प्रसंगों पर आधारित यह नाट्य प्रदर्शन किया गया है। नागपुर, महाराष्ट्र के विख्यात नाट्य दल ‘राधिका क्रियेशन‘ के 32 कलाकारों द्वारा प्रस्तुत इस नाटक को प्रसिद्ध उपन्यासकार शुभांगी भड़भड़े ने लिखा, निर्देशन सारिका पेंडसे ने तथा नाट्य संयोजन संजय पेंडसे ने किया। आकर्षक श्रव्य-दृश्य प्रभावों से सज्जित नाटक में प्रमुख पात्र विवेकानन्द के किशोर और युवा पात्र का प्रभावी अभिनय साहिल ajmer vivekanand 0 2पटवर्द्धन और अनिल पालकर ने किया। विवेकानन्द के एक-एक संवाद की प्रस्तुति पर दर्शकों की करतल ध्वनि से सराहा गया। ठाकुर रामकृष्ण परमहंस की भूमिका जयंत पाठक ने अदा की, इनके भावपूर्ण अभिनय ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। प्रमुख पात्रों की भूमिकाओं में माँ भुवनेश्वरी के रूप में अनीता तोटेवाद, सिस्टर निवेदिता के रूप में लतिशा सुरभि, डी राकफेलर के रूप में शक्ति रतन, मिसेज हेल की ajmer vivekanand 01भूमिका में रोहिणी पाठक और मोची के रूप में सुधाकर धाकतोड़ ने अपने अभिनय से प्रभावित किया। केन्द्र परिचय कुसुम गौतम ने दिया तथा आयोजन अध्यक्ष सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक रामचरित्रajmer vivekanand 05 तथा विशिष्ट अतिथि विवेकानन्द केन्द्र राजस्थान के संचालक डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली, प्रान्त संगठक रचना जानी, राष्ट्रसेवी पुरूषोत्तम परांजपे एवं सार्धशती समारोह समिति चित्तोड़प्रान्त संयोजक डॉ. क्षमाशील गुप्त ने सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर अनेकों गणमान्य प्रबुद्धजनों सहित बड़ी संख्या में दर्शक विद्यमान थे। पूरा हॉल लगभग 600 दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था।

जीवन्त हुआ विवेकानन्द का जीवन चरित्र- महानाटक ‘स्वामी विवेकानन्द‘ में विवेकानन्द की ईश्वर दर्शन की जिज्ञासा से लेकर रामकृष्ण से अद्भुत मिलन, परिव्राजक काल में प्रत्यक्ष भारतीय समाज की दयनीय स्थिति, शिकागो जाने पर सहा अपमान और सर्दी का प्रकोप, विश्वधर्म सम्मेलन में सनातन धर्म का उद्घोष और तत्पश्चात विश्वभर में प्रसिद्धि के दृश्य, सिस्टर निवेदिता से सम्पर्क तथा वहां से लौटकर भारतवर्ष के उत्थान व भारतवासियों की सेवा में जीवन न्योछावर कर देने के प्रेरणास्पद दृश्यों को ध्वनि और प्रकाश के सुन्दर संयोजन से प्रस्तुत किया गया। रामकृष्ण द्वारा विवेकानन्द को भारत की सेवा के संदेश के भावपूर्ण अभिनय और स्वामी विवेकानन्द के सन्यासी योद्धा के रूप में दिये आग्नेय उद्घोषों ने दर्शकों को एकाग्रचित्त कर दिया।
दिया राष्ट्रसेवा का संदेश- नाटक के प्रारंभ और अंत में वर्तमान युवा पीढ़ी की सोच और भ्रामक स्थिति का चित्रण करते हुए बताया गया कि युवा पीढ़ी जब भारतीय सांस्कृतिक गौरव को जान लेगी तो वह भी विवेकानन्द की भांति राष्ट्रसेवा के प्रति संकल्पित होकर कार्य करेगी। यह भी बताया गया कि जो भी देश की सेवा मंे जुटा हुआ है और जिसे भी देशवासियों की पीड़ा दूर करने की ललक है स्वामी विवेकानन्द आज भी उसके साथ खड़े हुए हैं।

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