केकड़ी। भारत विकास परिषद मध्यप्रान्त केकड़ी के तत्वावधान में रविवार को प्रातः आयुर्वेदिक कील आंटण शिविर का शुभारंभ किया। समारोह के मुख्य अतिथि समाज सेवी रामेश्वरलाल बम्बोरिया थे जबकि समारोह की अध्यक्षता पालिकाध्यक्ष रतनलाल नायक द्वारा की गई। महावीर डसाणियां, अनिल कुमार राठी, नरेन्द्रसिंह राठौड़, ओमप्रकाश शर्मा द्वारा समारोह को विशिष्ठ आतिथ्य प्रदान किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगीत एवं मां शारदे की प्रतिमा के सम्मुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित किया गया। मुख्य चिकित्सक एवं अध्यक्ष भाविप शाहपुरा कमलेश पाराशर द्वारा रोग निदान एवं रोग निदान से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस आयुर्वेदिक शिविर में कुल 42 रोगियों ने अपना पंजीयन करवाया एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया।
दायित्व ग्रहण समारोह:- भाविप का दायित्वग्रहण समारोह रविवार सायं माहेश्वरी प्रगति मण्डल (ध.ट्र) प्रांगण में समाज सेवी एवं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा भंवरसिंह पलाड़ा के मुख्य आतिथ्य एवं मालचन्द गर्ग राष्ट्रीय मंत्री ट्रस्ट एवं प्रोपर्टीज, भाविप की अध्यक्षता तथा मुकुट बिहारी मालपानी जिलाध्यक्ष भाविप अजमेर एवं गोविन्द अग्रवाल जिला सचिव भाविप अजमेर तथा नगर पालिका केकड़ी के अध्यक्ष रतनलाल नायक के विशिष्ठ आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे की प्रतिमा के सम्मुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए भंवरसिंह पलाड़ा ने कहा कि भारत विकास परिषद द्वारा सम्पर्क, सहायोग, संस्कार, सेवा, समर्पण को अंगीकार करते हुए जो समाज सेवा के कार्य किये जा रहे हैं वो सराहनीय है। इन कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करता हूं तथा हर संभव सहयोग के लिए मैं सदैव तत्पर हूं। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा नव निर्वाचित कार्यकारिणी को शपथ ग्रहण करवाकर दायित्व ग्रहण करवाया गया।
दोनों कार्यक्रमों में स्थानीय शाखा अध्यक्ष आनन्दीलाल सोमाणी, गोपाललाल वर्मा, राजेन्द्रकुमार न्याती सहित समस्त कार्यकर्ताओं ने अपनी उपस्थिति देकर सफल आयोजन में सहयोग प्रदान किया।
भक्ति अदब सत्कार की करें- संत किशनचन्द
केकड़ी । इंसान को भक्ति अदब की सत्कार की करनी चाहिए दिखावे वाली नहीं। दिखावे में छलावा ही छलावा, धोखा ही धोखा है। ये उद्गार संत किशनचन्द ने अजमेर रोड़ स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित सत्संग सभा में व्यक्त किये।
निरंकारी मण्डल प्रवक्ता रामचन्द्र टहलानी ने बताया कि संत किशनचन्द ने अपने प्रवचन में यह भी कहा कि जीतना है तो दिल जीतें दलीलें नहीं। किसी के द्वारा दिये गये प्यार, सत्कार को भुला पाना मुश्किल होता है, किसी का दिल न दुखायें विश्वास को जीतें तो बरकत ही बरकत होती है। बोली के कारण ही इंसान अपने को पराया एवं परायों को अपना बनाता है, इसलिए सभी के साथ मधुर व्यवहार करें। संत जी ने कहा कि पारस तो लोहे को सोना बनाता है पर संत तो आप समान बनाते हैं। संत शरणों में आये रत्नाकर डाकू, रज्जन डाकू, सज्जनकसाई, अजामिल, गणिका आदि आगे चलकर संत बने। संतों की शरण हरदम सुखदाई होती है। संतों के संग से ही इंसान अपना जीव सुधार सकता है। गला काटने वाला रत्नाकर डाकू आगे चलकर सभी को गले लगाने लगा। ये सब संतों व महापुरूषों की संगत का असर है।
सत्संग के दौरान तनुजा, इशिता, संगीता, पूनम, लक्ष्मण धनजानी, प्रशांत, रामचन्द्र बैरवा, बंशीलाल, आशा, कोमल आदि ने गीत विचार प्रस्तुत किये। संत जी का स्वागत नरेश कारिहा ने एवं कार्यक्रम का संचालन अशोक रंगवानी ने किया।
-पीयूष राठी