सेवा स्तम्भ का मदस विवि पर क्रमिक धरना जारी

mds thumbअजमेर। महर्षि दयानन्द सरस्वती विष्वविद्यलाय के कुलपति द्वारा बार बार रिव्यू डी.पी.सी/डी.पी.सी. के सम्बंध में की जा रही वादाखिलाफी के परिणामस्वरूप विवष होकर दिनांक 24.07013 से जारी क्रमिक धरना आज दिनांक 31.07.13 बु़द्धवार को आठवे दिन भी जारी रहा, धरने पर आज श्री महेष यादव व श्री रामधन मीणा को श्री भूप सिंह द्वारा माला पहनाकर धरने पर बैठाया गया ।
दोपहर 1 बजे सभी कर्मचारियो द्वारा कुलपति प्रो. रूपसिंह बारेठ का घेराव कर अक्रोष व्यक्त किया उन पर आरोप लगाया कि उनकी हठधिर्मिता के कारण की रिव्यू डी.पी.सी के आदेष जारी नही किये जा रहे है । लगभग एक घण्टे चले घेराव मे अध्यक्ष भूप सिंह मीणा, श्री नीरज पंवार, श्री परमानन्द बरूणा, श्री दुर्गाषंकर मीणा, श्री के.एल.मीणा, श्री राजू सिंह, श्री प्रेमराज मीणा, श्री रामजी लाल डाबरिया आदि शामिल थे, धेराव के समय आक्रोष व्यक्त करते समय महासंघ के पदाधिकारियों द्वारा कुलपति प्रो.वारेठ को चेताया यदि रिव्यू डी.पी.सी. के आदेष 1997-98 से वर्षवार जल्द ही जारी नही किये गये तो महासंघ द्वारा सामूहिक आमरण अनषन किया जायेगा यदि फिर भी प्रषासन नही जागा तो आत्मदाह जैसे कदम भी उठाये जायेगें ।
महासंघ के श्री रामधन मीणा ने बताया कि रिव्यू डी.पी.सी. 1997-97 से वर्षवार करने के आदेष प्रबन्ध मण्डल की बैठक दिनांक 08.01.10 के निर्णय संख्या 21 के निर्णयानुसार कार्यालय आदेष क्रमांक 6307 दिनांक 8.3.2010 जारी किये जा चुके है परन्तु विष्वविद्यालय प्रषासन उक्त आदेष की पालना आज दिनांक तक नही कर पाया है जिससे कारण दलित वर्ग के कर्मचारियों का हक दबाया जा रहा है, उन्होने कुलपति श्री बारेठ पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया, जिसके कारण विष्वविद्यालय मे दलित विरोधी वर्ग जम कर मजे लुट रहा हैै । उन्हे गलत तरीके से पदोन्नित दी जा रही है जबकि जिन पदो पर पदोन्निति दी जा रही है उन पदो पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का हक बनता है। इसका विरोध कई बार कुलपति को दर्ज करवाया जा चुका है उसके उपरांत भी उन पर अंकुष नही लगाया गया है। जिसकी सभी कर्मचारी भर्त्सना करते है । मंच से आज श्री राजू सिंह, श्री दुर्गाषंकर मीणा, श्री प्रेमराज मीणा ने कर्मचारियों को सम्बोधित किया ।
महासंघ के अध्यक्ष श्री भूपसिंह मीणा ने जानकारी दी कि क्रमिक धरने पर दिनांक 01..08.13 को श्री नीरज पंवार एवं श्री परमानन्द बरूणा बैठेगें ।

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