लखनऊ | बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने नया तेलंगाना राज्य बनाए जाने का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से छोटे राज्यों की पक्षधर रही है, इसलिए वह केंद्र के इस कदम का समर्थन करती हैं। मायावती ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन को लेकर भी केंद्र को जल्द ही प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। राजधानी लखनऊ में पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मायावती ने जहां उप्र के विभाजन की अपनी मांग को फिर से हवा दी, वहीं दूसरी ओर सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर भी जमकर हमला बोला। पृथक तेलंगाना राज्य का समर्थन करते हुए मायावती ने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा यह देर से उठाया गया कदम है, लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम के बाद तेलंगाना क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें और आकांक्षाएं पूरी हुई हैं। उम्मीद है कि उनका बेहतर विकास होगा।”
मायावती ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर के पदचिह्नें पर चलने वाली बसपा ने हमेशा छोटे राज्यों और छोटी इकाइयों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “उप्र की चार बार मुख्यमंत्री रही हूं और इस दौरान हमने तहसीलों, जिलों एवं मंडलों के अलावा नए पुलिस जोनों को स्थापित किया।” मायावती ने कहा कि उप्र की 20 करोड़ जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य के विभाजन का प्रस्ताव पहले मंत्रिमंडल और फिर विधानसभा में पारित कर 23 नवंबर, 2011 को केंद्र के समक्ष भेजा गया था। प्रस्ताव में उप्र को चार भागों पूर्वांचल, बुंदेलखंड, पश्चिमी एवं हरित प्रदेश में विभाजित करने की बात कही गई थी। यह प्रस्ताव अब तक केंद्र सरकार के समक्ष लंबित है।
उन्होंने कहा, “मैं केंद्र सरकार से मांग करती हूं कि जल्द से जल्द उप्र के विभाजन की प्रक्रिया भी शुरू की जाए, ताकि लोगों का और उपेक्षित क्षेत्रों का समुचित विकास हो सके।”
मायावती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा, “उप्र के मुख्यमंत्री मुझे राज्य में न आने की नसीहत दे रहे हैं। इसकी बजाय उन्हें अपने पिता मुलायम सिंह यादव को उप्र में न घुसने का फरमान जारी करना चाहिए, क्योंकि वह खुद सरकार की कार्यशैली पर कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं।”
निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन को वापस लेने की मांग करते हुए मायावती ने कहा कि सपा के शासन में ईमानदार और निष्ठावान अधिकारियों को काम करने की छूट नहीं है। यह सरकार गुंडों और माफियाओं के हवाले हो चुकी है। सूबे में कानून का राज नहीं रह गया है।
मायावती ने कहा कि दुर्गाशक्ति नागपाल के मामले में राज्यपाल और केंद्र को भी संज्ञान लेना चाहिए, वर्ना आने वाले समय में ईमानदार अधिकारियों के सामने और चुनौतियां आ सकती हैं।
मायावती ने कहा, “मैं पहले भी कह चुकी हूं कि उप्र में कानून का राज समाप्त हो गया है और इसलिए यहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए और आज मैं फिर अपनी वही मांग दोहरा रही हूं।”