विवि में सेवास्तम्भ का आन्दोलन 16वें दिन भी जारी

20130807_16401720130808_110032अजमेर। महर्षि दयानन्द सरस्वती विष्वविद्यलाय के कुलपति द्वारा बार बार रिव्यू डी.पी.सी/डी.पी.सी. के सम्बंध में की जा रही वादाखिलाफी के खिलाफ दिनांक 24.07013 से जारी क्रमिक धरना आज दिनांक 08.08.13 गुरूवार को 16वे दिन भी जारी रहा । धरने पर आज श्री राजूसिंह व श्री प्रेमराज मीणा को श्री नीरज पवांर एवं श्री रूपसिंह मीणा ने माला पहना कर धरने पर बैठाया ।
सभा को सम्बोधित करते हुये श्री रमेषचन्द बसंल, जिला संयोजक दलित अधिकार समिति व श्री धमेन्द्र लालवानी, राष्ट््रीय महासचिव, भारत नव निर्माण पार्टी ने कहा कि महांसघ ने रिव्यू डी.पी.सी./डी.पी.सी की मांग के समर्थन मे है उन्होने कहा कि यह बहुत ही दुख का विषय है कि समस्त प्रदेष रिव्यू डी.पी.सी/डी.पी.सी. के कार्य को श्री अषोक गहलोत सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर किया गया है फिर भी दषक से रिव्यू डी.पी.सी/डी.पी.सी विष्वद्यिालय मे नही होना दलित वर्ग के कर्मचारीयों के हितो पर कुठाराघात किये जाने के सामान है, जो कि निन्दा किया जाने योग्य है । उन्होने आष्वासन दिलाया कि अगले सप्ताह उनकी मांग को राज्यपाल महोदय से मिलकर उठाई जायेगी । उन्होने भरोसा दिलाया कि उनके संघ का समर्थन प्रत्येक कदम पर महांसघ के साथ है। उन्होने गांधीवादी तरीके से चलाये जा रहे आन्दोलन के लिए महासंघ की प्रसंषा की ।
आज कुलपति के निमंत्रण पर हुई वार्ता सिफर रही, वार्ता मे यह जानकार बहुत ही अफसोस हुआ कि आन्दोलन के 16 दिन गुजर जाने के उपरांत भी अभी तक रिव्यू डी.पी.सी. की कार्यवाही के नाम पर विष्वविद्यालय प्रषासन द्वारा कोई कार्यवाही शुरू नही की गई है, विष्वविद्यालय प्रषासन के इस कदम से विष्वविद्यालय प्रषासन की यह भावना प्रदर्षित होती है कि प्रषासन को कर्मचारीयों की कई फ्रिक नही है, जिसकी महासंघ घोर निन्दा करता है। महासंघ के अध्यक्ष ने बताया कि अगले सप्ताह कलैक्ट््रेट पर प्रर्दषन कर ज्ञापन सौपा जायेगा । प्रषासन की वादाखिलाफी के कारण मजबूर होकर महांसघ को आन्दोलन की राह पर जाना पडा, अन्दोलन की वजह से प्रदेष के छात्रों को हो रही परेषानी के लिए महासंघ ने खेद व्यक्त किया, तथा इसके लिए भी विष्वविद्यालय प्रषासन कांे दोषी बताया।
महासंघ के अध्यक्ष श्री भूपसिंह मीणा ने जानकारी दी कि क्रमिक धरने पर दिनांक 09.08.13 को श्री रतन लाल शर्मा एवं श्री सुरेष कुमार बैठेगें ।

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