अजमेर। भगवान् देवनारायण के 121वें स्थापना दिवस पर गुरूवार रात विशाल भजन संध्या का आयोजन किया गया। वहीं शुक्रवार सुबह माकडवाली रोड भक्ति धाम से आनासागर रोड स्थित देवनारायण मंदिर तक विशाल कलश शेाभायात्रा निकाली गई। गाजे-बाजो के साथ निकाली गई कलश शोभायात्रा में सैंकडो में महिला-पुरूषों ने भाग लिया। भक्ति धाम से देवनारायणय मंदिर तक रास्ते में जगह जगह फूल मालाओं द्वारा कलश यात्रा का स्वागत किया गया। कलश यात्रा से पूर्व हरिराम बागडी, हरि सिंह गुर्जर, भोमराज गुर्जर, राजू गुर्जर और भंवरलाल खटाणा द्वारा पूजा अर्चना कर कलश यात्रा को रवाना किया गया। शोभा यात्रा में सौरभ बजाड़, राकेश धाबाई, गोपीचंद गुर्जर, कालू गुर्जर गणेश गुर्जर सहित गुर्जर समाज के लोगो ने भाग लिया। देवनारायण मंदिर विकास समिति की तरफ से बाहर से आए हुए आगन्तुकों का साफा और माला पहनाकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर स्थापना दिवस के आयोजन में शामिल सभी भक्तजनों ने प्रसादी का लाभ उठाया। समिति के सचिव भोमराज गुर्जर ने भक्तजनों का आभार व्यक्त किया।
श्री मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार सभा अजमेर के द्वारा मनाए जा रहे महाराजा श्री अजमीढ़ जयन्ति महोत्सव के अन्र्तगत शुक्रवार को गंज स्थित स्वर्णकार बगीची से गाजे बाजो के साथ कलश शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में समाज की महिलाए लाल रंग की साडी पहने सिर पर कलश धारण किए नगर के विभिन्न मार्गाे से होकर जनकपुरी गंज पहुंची। वहीं शोभायात्रा में पुरूष सफेद वस्त्र पहन कर शामिल हुए। शोभायात्रा में विभिन्न देवी देवताओ की सजीव झांकीया आकृषण का केन्द्र बनी रही। वहीं रास्ते में व्यापारियो द्वारा शोभायात्रा का पुष्प वर्षा और अल्पाहार से स्वागत किया गया। शोभायात्रा का मुख्य अतिथि नौरतमल बैराडिया ने महाआरती कर शुभारंभ किया। वहीं शोभायात्रा में नन्द किशोर अग्रोया, मनोहर बैराडिया, अल्का भवणं, संगीता सोलीवाल, उर्मिला तुणगर, कैलाश कांदला, रमेश मायछ सहित अनैको समाज बंधु शामिल हुए। शाम को सामुहिक भोज और पुरूस्कार वितरण के साथ दो दिवसीय महाराजा श्री अजमीढ़ जयन्ति महोत्सव का समापन हुआ। इससे पूर्व गुरूवार रात जनकपुरी गंज में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में समाज के बालक बालिकाओं और महिला पुरूषों ने एकल व समुह नृत्य की प्रस्तुति देकर समा बांधा। इस अवसर पर फैंसी डेªस प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।
1 thought on “भगवान देवनारायण और महाराजा अजमीढ जयन्ति पर निकली शोभायात्रा”
Comments are closed.
ये जाति समाज से मिटने के कगार पर है! जो जाति अपने समाज और अपने पूर्वजों तक को याद नहीं रख सकती उसको कोई नहीं बचा सकता!और संगठन जो की किसी भी जाति या देश के लिए परम आवश्यक होता है वो इस जाति का ज़ीरो है! अगर इस जाति को आज समाज के सबसे निचले या निकरषटतम स्थान पर माना जाये तो गलत नहीं होगा!