अजेमर। पुष्कर ब्रह्मा मंदिर की महंताई का विवाद अभी निपटा भी नही की वर्तमान महंत सोमपुरी के कारनामों की सीडी ने हडकंप मचा दिया है। सीडी में महंत सोमपुरी को मंदिर की दान पेटी से पैसे चुराते हुए दिखाया गया है। मंदिर की दान पेटी से रूपए चुराने में सोमपुरी सावधानी बरती, लेकिन भूल गए की उनकी इस घिनोनी हरकत को तीसरी आंख देख रही है। मंदिर के सीसीटीवी केमरे में केद सोमपुरी की हरकत अब उनके विरोधियों के लिए हथियार बन गयी है।
सीडी में पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के महंत सोमपुरी है , जो एक लोहे के सरिये को दान पात्र में डाल कर पैसे निकालते हुए दिख रहे है। यह विडियो जनवरी 2012 का है जब ब्रह्मा मंदिर के महंत लहरपूरी थे। लहरपूरी अक्सर बीमार रहते थे। तब उनके शिष्य सोमपुरी मंदिर की देख भाल करते थे। उस दोरान सोमपुरी मंदिर में यह सब किया करते थे। वही इस ब्रह्मा मंदिर विवाद में एक नया खुलासा ये भी हुआ है की जो सोमपुरी आज अपने आप को दिवंगत महंत लहरपुरी का उतराधिकारी बता कर महंत की गद्दी पर बैठा हुआ है वो सोमपुरी हकीकत में ब्रह्मा मंदिर का रक्षक न होकर भक्षक से ज्यादा और कुछ नहीं था।
पुष्कर के महंत लहरपूरी की मौत के बाद उनके शिष्य सोमपुरी ने मंदिर के महंत होने का दावा किया था और इसी के लिए सोमपुरी ने बाकायदा एक स्टाम्प पर लहरपूरी के द्वारा उनको उतराधिकारी होने का अधिकार देने का दावा भी किया था लेकिन क्या जो सोमपुरी दिवंगत महंत का वसीयत नामा दिखा रहे है वो सही है या नहीं अब इस बात को लेकर भी संशय बन चूका है। क्योंकि एक नया वसीयत नामा लहरपुरी के हस्ताक्षर किया हुआ अब सबके सामने आया है। जिससे वर्तमान में स्वयं भू महंत सोमपुरी की तमाम हरकतों से परेशांन होने का जिक्र किया गया है और यही वजह है की नए वसीयत नामे में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है की जिस तरह से सोमपुरी मंदिर के अन्दर हरकते कर रहा है उसके चलते लहरपुरी ने ब्रह्मा मंदिर के नए महंत के लिए मंदिर के ट्रस्टियो को ही उचित माना है।
मंदिर के दान पेटी से पैसे चोरी करने का मामला अब तुल पकड़ने लगा है, महंत की इस हरकत का फायदा उठाने के लिए विरोधी गुट कोई कसर नही छोड़ रहा है। यही वजह है की अब सोमपुरी के विपक्षी और मंदिर के ट्रस्टियो ने मामले में गंभीरता बरतने की बात कहते हुए सोमपुरी के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज करवाने की भी बात कही हैं।……….

मामला चाहे पुराना हो या नया आखिर मामला तो है ही सोमपुरी ने कहा की ये सी डी मेंरे दुश्मनों की एक साजिस है मगर सवाल तो ये है की जब सोमपुरी सालो पहले ही अपनी नेतिकता खो चुके है चोरी तो चोरी ही होती है चाहे पहले करो या बाद में क्या इस प्रकार के कारनामो को अंजाम देने वाले आदमी को जगत पिता ब्रह्मा मंदिर का महंत बनाया जा सकता है मगर उनको महंत बना दिया गया है इनकी महंताई का विरोध वाले कई व्यक्ति और संघठन एक ही रात में पाला बदल कर सोमपुरी के समर्थन में जुट गए — मगर इस पुरे प्रकरण में प्रशासन की भी भूमिका एक तरफ़ा नजर आ रही है —– मिडिया और प्रशासन के कुछ लोग भी इस पुरे प्रकरण में अपनी भूमिका सत्यता पूर्वक नहीं निभा सके है —– खेर अब तो सोमपुरी का राज्याभिषेक हो चुका है थोडा बहुत तनाव अभी भी उनके चहरे पर नजर आ रहा है —प्रशासन भी थोड़ी राहत महसूस कर रहा है — मगर एक सवाल अभी भी साधारण के दिमाग में है की इस पुरे घटना क्रम के बाद क्या सोमपुरी जी महाराज मंदिर के पुरे कामकाज और मंदिर के ट्रस्ट के सदस्यों के साथ तालमेल स्थापित कर सकेंगे अपनी महंताई के आधीन इस जगत पिता ब्रह्मा मंदिर के विकास को बुलंदिया दे सकेंगे क्या अब मंदिर की दान पेटियों से बाहर झाकते रुपयों को चिमटी से पकड़ कर अपने हवाले नहीं किया जाएगा —–