केकडी! पहले जहॉ दीपावली पर्व पर मिटटी के दीपक जलाये जाते थे!लेकिन इस आधुनिक युग मे मिटटी से बनने वाले दीपक की जगह इलेक्टरोनिक आइटमो ने ले ली है!जहॉ पहले मिटटी से बनने वाले दीपक से कुम्हार समाज के लोगो को रोजी रोटी मिलती थी लेकिन अब चाइनीज आइटमो के आने से उनकी रोजी रोटी छीनने के कगार पर है!देष की माटी ने तो दीपक बनाने वाले कारीगरो का खुब साथ दिया लेकिन इस आधुनिकता की चकाचौंध मे मिटटी की जगह इलेक्टरोनिक आइटमो ने ले ली!कारीगर पहले जहॉ चाक को घुमाकर दीपक बनाते थे लेकिन इस आधुनिकता के युग से वो भी अछुते नही रहे और चाक मे इलेक्टरोनिक मोटर का प्रयोग करने लगे है!आज दीये की कीमतो मे बढोतरी हुई तो इन मिटटी से निर्मित दीयो की मांग घट गई है!आज बाजारो मे चाइटमो ने धुम मचा रखी है!सिर्फ वही इस आधुनिकता की चकाचौंध ने फुलो से बनने वाली माला को भी नही बख्षा और इन माला की जगह आर्टिफिषियल फुलो व माला ने ले ली!बाजारो से फुलो की महक गायब हो गई है और फुल सिर्फ भगवान की माला तक सिमट कर रह गये है!आज के समय फुलो की माला सिर्फ भगवान को चढाने के लिए बची है!बाजार मे इलेक्टरोनिक आइटमो की मांग बढने से उनके दामो मे बढोतरी हुई लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध मे लोगो का इन इलेक्टरोनिक आइटमो से दाम बढने पर भी मोह नही छुटा!इस बारे मे जब मिटटी से दीपक बनाने वाले कारीगर कालुराम प्रजापत से बात की तो कुछ इस तरह सुनाया अपना दुखडा!
पहले के मुकाबले आज मिटटी से निर्मित दीयो की मांग घट गई है!पहले जहॉ जबरदस्त मांग रहती थी और समय नही बचता था लेकिन आज लोग सिर्फ नाम के दीये खरीदते है!इस दीपावली के पर्व पर भी ग्राहको की बाहट जोहतेे रहते है!