कौन हो तुम मेरे
रोज़ यही सवाल पूछता है मेरा मन कौन हो तुम मेरे डरती भी हूँ रोज़ाना वही रात फ़िर आएगी घूरती निगाहें तुम्हारी मेरी सम्पूर्ण देह को भेदती हुई… अनादिकाल से तुम्हारा और मेरा एक ही रिश्ता रहा मर्द और औरत का सिर्फ जिस्म से जिस्म का पुरुष के लिए नारी सिर्फ भोग्या रही सिर्फ शारीरिक … Read more