अधिक रिटर्न या टैक्स बचत के लिए न कराएं बीमा

एक तथ्य पर ध्यान दीजिए कि देश में आपको बीमा कभी कर बचाने के नाम पर बेचा जाता है तो कभी शेयर बाजार से अच्छे रिटर्न के नाम पर। बीमा सिर्फ बीमा के लिए बेचा नहीं जाता। कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों है। जीवन बीमा कंपनियों के विभिन्न उत्पाद आज बाजार में हैं। इनमें यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान), एंडोमेंट योजनाएं, टर्म इंश्योरेंस, पेंशन वगैरह प्रमुख हैं। कोई भी जीवन बीमा एजेंट आपको टर्म इंश्योरेंस लेने की सलाह खुद से नहीं देगा, जबकि जीवन बीमा का वास्तविक रूप ही यही है।

फाइनेंशियल प्लानर यह सलाह देते हैं कि किसी व्यक्ति को सबसे पहले अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए अपनी सालाना आय का कम से कम 10 से 15 गुना जीवन बीमा कवर टर्म इंश्योरेंस के जरिये लेना चाहिए। बीमा और निवेश को मिश्रित करने की भूल नहीं करनी चाहिए।

तीस वर्षीय पुरुष अगर 75 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस लेता है तो उसे सालाना 6,405 रुपये (एगॉन रेलिगेयर की आइ टर्म) से 9,789 रुपये (एडलवाइस टोकियो की प्रोटेक्शन) देना पड़ेगा। अगर इतने ही कवर के लिए वह व्यक्ति यूलिप या अन्य पॉलिसी लेता है तो उसे तकरीबन दो लाख रुपये सालाना का प्रीमियम देना होगा। अगर हम टर्म इंश्योरेंस का प्रीमियम अधिकतम 15,800 रुपये भी मानकर चलें तो इसे लेने पर भी उसे 1,84,200 रुपये की बचत होगी। इस बची राशि का निवेश अगर वह म्यूचुअल फंड की योजनाओं में करता है तो उसे औसतन सालाना 11-12 प्रतिशत का रिटर्न तो मिल ही जाएगा। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ पर मिलने वाला रिटर्न भी वर्तमान में 8.8 प्रतिशत वार्षिक का है।

केवल इसलिए टर्म इंश्योरेंस न लेना कि परिपक्वता (मैच्योरिटी) पर कुछ नहीं मिलेगा, एक सही फैसला नहीं होगा। बीमा और निवेश को अलग कर आप किसी भी बीमा पॉलिसी से कहीं ज्यादा रिटर्न अर्जित कर सकते हैं। टर्म इंश्योरेंस में ऑनलाइन टर्म इंश्योरेंस सबसे सस्ता है, क्योंकि इसमें कंपनी को वितरण, कागजी काम नहीं करने होते। साथ ही एजेंटों का कमीशन भी बचता है। किसी भी रूप में टर्म इंश्योरेंस एक बेहतर सौदा है। यानी बीमा सिर्फ बीमा के लिए है, निवेश या फिर कर की बचत के लिए नहीं।

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