ग्रामीण विकास पर खर्च होंगे 40 हजार करोड़

केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास पर 40 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है। इसके लिए विशेष कोष बनेगा, जिसका उपयोग राज्य अपनी जरूरतों के हिसाब से कर सकेंगे। कोष में 70 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र और 30 फीसदी राज्यों की होगी। राज्यों की मांग के आधार पर रूरल फ्लेक्सी फंड [ग्रामीण लचीला कोष] का गठन किया गया है।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने गुरुवार को योजना आयोग में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा, ग्रामीण विकास कार्यक्रम वर्तमान में केंद्रीय दिशा निर्देशों का बंधक बन गया है। राज्यों को इसमें अपनी जरूरत के हिसाब से तब्दीली की छूट तक नहीं है। इसी के मद्देनजर राज्यों के प्रति लचीला रुख अपनाते हुए केंद्र ने यह कोष बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस कोष का संचालन 2013-14 के वित्त वर्ष से शुरू होगा। साथ ही यह भी कहा, देश की वित्तीय वृद्धि दर संतोषजनक रही तो कोष का आकार और बड़ा हो सकता है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा, इससे राज्यों को ग्रामीण विकास की योजनाओं को पूरा करने में पूरी स्वतंत्रता मिलेगी। मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं का कुछ हिस्सा मिलाकर यह कोष बनाया जाएगा।

रमेश ने कहा, 12वीं पंचवर्षीय योजना में ग्रामीण विकास मंत्रालय को कुल 4.90 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि पेयजल और स्वच्छता विभाग के लिए एक लाख करोड़ का आवंटन प्रस्तावित है। पहली बार इन दोनों विभागों का पुनर्गठन किया जाएगा। 11वीं योजनाओं के मुकाबले चालू योजना का बजट पेयजल व स्वच्छता के लिए दोगुना कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, मध्य भारत की आदिवासी पंट्टी के गरीबों के लिए सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान भारत ग्रामीण आजीविका मिशन का भी गठन करने का मन बनाया है। वहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सिविल सोसाइटी और सरकार मिलकर एक साथ कुछ करने की सोच रही है।

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