टाटा समूह में बदलाव की बयार लाने वाले रतन टाटा 50 साल तक काम करने के बाद आज रिटायर हो रहे हैं। खास बात यह है कि आज उनका बर्थडे भी है। वर्ष 1991 से वे समूह में बतौर चेयरमैन कार्यरत हैं। उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी कि 75 साल पूरे होने पर वह अपना पद छोड़ देंगे। उनकी जगह 44 वर्षीय साइरस पलोनजी मिस्त्री को समूह का चेयरमैन बनाया जा रहा है। इस पद के लिए मिस्त्री को पिछले साल नवंबर में ही चुन लिया गया था। हालांकि, रतन समूह के मानद चेयरमैन बने रहेंगे।
साइरस मिस्त्री को शुक्रवार को मुंबई स्थित टाटा संस के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में एक सादे समारोह में औपचारिक रूप से चेयरमैन का पदभार सौंपा जाएगा। टाटा संस ही समूह की होल्डिंग कंपनी है। टाटा समूह में यह सबसे बड़ी शेयरधारक है।
नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले इस समूह में सौ से ज्यादा कंपनियां शुमार हैं और इनका कारोबार दुनिया के 80 देशों में फैला हुआ है। साथ ही समूह की कंपनियां 85 देशों में अपने उत्पादों का निर्यात करती हैं। इनमें से 32 कंपनियां शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं जिनका कुल बाजार पूंजीकरण 88.82 अरब डॉलर है। इन कंपनियों के शेयरधारकों की संख्या 38 लाख से ज्यादा है। देश के इस सबसे बड़े कारोबारी घराने को संभालना मिस्त्री के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
यह रतन की काबिलियत का ही कमाल है कि आज टाटा समूह करीब पांच लाख करोड़ रुपये (100.09 अरब डॉलर) के कारोबार वाला औद्योगिक घराना बन गया है। वर्ष 1991 में जब उन्होंने जेआरडी टाटा से चेयरमैन का पद संभाला था तब समूह का कारोबार 10 हजार करोड़ रुपये का था। इस ऊंचाई पर पहुंचने के लिए रतन टाटा ने जहां उन कारोबारों को बेचने का फैसला किया जो समूह के पोर्टफोलियो में सटीक नहीं बैठ रहा था। वहीं ब्रिटेन की बेवरेज कंपनी टेटली, लग्जरी कार कंपनी जगुआर लैंडरोवर और एंग्लो डच स्टील कंपनी कोरस के अधिग्रहण ने समूह का कारोबार बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। इससे भी बड़ी बात यह है कि समूह की जिन कंपनियों टाटा टी (टेटली), टाटा मोटर्स (जगुआर लैंडरोवर) और टाटा स्टील (कोरस) ने इनका अधिग्रहण किया वो आकार और टर्नओवर के मामले में इनसे बड़ी थीं। उस समय रतन टाटा के इन फैसलों की आलोचना भी हुई थी मगर उनकी दूरदृष्टि ने यह जान लिया था कि भविष्य में यही कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समूह को नई पहचान दिलाएंगी। आज यह सच साबित हो रहा है।
सौ से ज्यादा कंपनियों वाले इस समूह की कमाई में ये कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। भारत की पहली स्वदेशी कार इंडिका और दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो रतन के दिमाग की ही उपज थी।
कौन हैं साइरस :-
रतन टाटा के उत्तराधिकारी के तौर पर पिछले साल जब साइरस मिस्त्री का चयन किया गया था तब टाटा समूह से बाहर उन्हें कम ही लोग जानते थे। वे टाटा संस के सबसे बड़े शेयरधारक पलोनजी शापूरजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे हैं। शापूरजी के पास टाटा संस की 18.5 फीसद हिस्सेदारी है। रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा की शादी साइरस की बहन से हुई है। चार जुलाई, 1968 को जन्मे मिस्त्री ने लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड मेडिसिन से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। इसके अलावा उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट की पढ़ाई भी की है।