दस करोड़ रोजगार का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल सरकार के उलट उद्योग मंडल सीआइआइ मानता है कि 2022 तक दस करोड़ रोजगार के लक्ष्य को पाना मुश्किल होगा। राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति [एनएमपी] में सरकार ने यह लक्ष्य तय किया है। सीआइआइ-बीसीजी [बॉस्टन कंसल्टिंग गु्रप] की रिपोर्ट कहती है कि मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन को क्षेत्र की विकास दर में बहुत तेजी की उम्मीद नहीं है। लिहाजा, 2022 के लिए रखे गए एनएमपी लक्ष्य से सरकार बड़े अंतर से पीछे रह सकती है। अधिक निवेश न होने के कारण उम्मीद से सात करोड़ कम रोजगार संभावनाएं तैयार हो सकेंगी। एनएमपी के तहत सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] में मैन्यूफैक्चरिंग के हिस्से को भी 25 फीसद तक बढ़ाने की बात कही गई है, जो वर्तमान में 16-17 फीसद है। भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के 70 वरिष्ठ प्रतिनिधियों में से 75 फीसद ने कहा कि वे सात फीसद से भी कम दर से क्षेत्र के विकास की उम्मीद कर रहे हैं। बीते दो वर्ष के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में विकास की रफ्तार काफी घटी है। इसी के चलते चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में औद्योगिक विकास की दर 1.2 फीसद रही। बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 3.6 फीसद रही थी। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में जान फूंकने के लिए रिपोर्ट में कुछ सुझाव दिए गए हैं। एक एजेंसी गठित करने की बात कही गई है, जो सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का काम करे। यह प्रधानमंत्री कार्यालय से सीधे जुड़ी होनी चाहिए।

सरकार के उलट उद्योग मंडल सीआइआइ मानता है कि 2022 तक दस करोड़ रोजगार के लक्ष्य को पाना मुश्किल होगा। राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति [एनएमपी] में सरकार ने यह लक्ष्य तय किया है।

सीआइआइ-बीसीजी [बॉस्टन कंसल्टिंग गु्रप] की रिपोर्ट कहती है कि मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन को क्षेत्र की विकास दर में बहुत तेजी की उम्मीद नहीं है। लिहाजा, 2022 के लिए रखे गए एनएमपी लक्ष्य से सरकार बड़े अंतर से पीछे रह सकती है। अधिक निवेश न होने के कारण उम्मीद से सात करोड़ कम रोजगार संभावनाएं तैयार हो सकेंगी। एनएमपी के तहत सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] में मैन्यूफैक्चरिंग के हिस्से को भी 25 फीसद तक बढ़ाने की बात कही गई है, जो वर्तमान में 16-17 फीसद है।

भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के 70 वरिष्ठ प्रतिनिधियों में से 75 फीसद ने कहा कि वे सात फीसद से भी कम दर से क्षेत्र के विकास की उम्मीद कर रहे हैं। बीते दो वर्ष के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में विकास की रफ्तार काफी घटी है। इसी के चलते चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में औद्योगिक विकास की दर 1.2 फीसद रही। बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 3.6 फीसद रही थी।

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में जान फूंकने के लिए रिपोर्ट में कुछ सुझाव दिए गए हैं। एक एजेंसी गठित करने की बात कही गई है, जो सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का काम करे। यह प्रधानमंत्री कार्यालय से सीधे जुड़ी होनी चाहिए।

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