फिर बढेगीं बिजली की दरें, तैयार रहें आप

electicityनई दिल्ली। आम जनता को एक बार बढ़ी हुई बिजली दरों के लिए अपने आपको तैयार कर लेना चाहिए। विदेशी कोयले पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने के साथ साथ रेल बजट में माल भाड़े में वृद्धि करने के बाद से इसकी संभावनाएं और अधिक बढ़ गई हैं। वहीं इनकी वजह से ही कोल प्राइस पूलिंग से पावर प्रॉडक्शन कॉस्ट बढ़नी तय है।

दरअसल भारत सरकार की कोल प्राइस पूलिंग में विदेशी और भारतीय कोयले को मिलाकर एक कीमत पर बिजली संयंत्रों को सप्लाई करने की योजना है। इसकी वजह से भी बिजली की दरें बढ़ जाएंगी। कोल, रेल भाड़े, और दूसरे खर्च के चलते बिजली बनाने की प्रक्रिया में करीब 20 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होगी। जहां पर बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियां घाटे में हैं वहां बढ़ी दरों की मार ज्यादा पड़ने के आसार हैं। हालांकि वर्ष 2012 में केंद्र सरकार ने घाटे में चल रही बिजली कंपनियों या बिजली बोर्ड की हालत में सुधार के लिए फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग पैकेज का ऐलान किया था। लेकिन इसके लिए एक शर्त रखी गई थी, जिसके तहत बिजली बोर्डो को हर वर्ष अप्रेल में बिजली दरों में वृद्धि करनी जरूरी थी। इस पैकेज का फायदा राजस्थान, यूपी, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु ले चुके हैं।

एनटीपीसी के चेयरमैन अरूप रॉय चौधरी के मुताबिक दो फीसद कस्टम ड्यूटी लगाने और सीवीडी को 1 फीसद से बढ़ाकर 2 फीसद करने से विदेशी कोयला महंगा होगा, जिससे बिजली की दरें बढ़ जाएंगी। रेल भाड़े की बढ़ी कीमतों की वजह से भी बिजली की दरों में वृद्धि होगी। खुद एनटीपीसी में इसकी वजह से बिजली की कीमत पांच पैसे प्रति यूनिट बढ़ जाएगी। इससे एनटीपीसी की प्रॉडक्शन कॉस्ट 5 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगी। बिजली कंपनियों का कहना है कि इससे बिजली बनाने की दरों में करीब दस पैसे की वृद्धि हो जाएगी।

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