सेबी को मिलेंगे ज्यादा अधिकार

sebi-नई दिल्ली। लुभावनी स्कीमों का मायाजाल बुन सीधे साधे निवेशकों से धन इकट्ठा कर उन्हें लूटने वाली कंपनियों की निगरानी कड़ी करने के लिए सरकार बाजार नियामक सेबी के अधिकारों का दायरा बढ़ाने जा रही है। सरकार इस तरह की योजनाओं के संचालन नियमों को बदल उन्हें भी सीधे सेबी के क्षेत्राधिकार में लाने पर विचार कर रही है। नियामक को और अधिकार देने के लिए जल्दी ही सेबी अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव है।

सूत्रों के मुताबिक सेबी अधिनियम में बदलाव कर नियामक को संपत्तियों की कुर्की करने, जांच व जब्ती और गड़बड़ी करने वाले व्यक्ति अथवा कंपनी की छानबीन के मामले में किसी भी कंपनी से सूचना जुटाने की शक्तियां देने का प्रस्ताव है। इस तरह के मामलों को रोकने के लिए सिर्फ सेबी अधिनियम ही नहीं सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट (रेगुलेशन) एक्ट और डिपाजिटरी कानून में भी संशोधन किया जा सकता है।

चिट फंड कंपनियों की मनी पूलिंग योजनाओं को नियंत्रित करने के लिए ऐसी स्कीमों की निगरानी का पूरा अधिकार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को दिया जा सकता है। इसके तहत 100 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के संग्रह वाली स्कीमों को बाजार नियामक के दायरे में लाया जा सकता है। कोलकाता के सारधा मामले की जांच के संबंध में हुए विचार-विमर्श के दौरान वित्त मंत्रालय ने नियामक को आश्वस्त किया है कि सेबी अधिनियम में जल्द संशोधन किए जाएंगे। सेबी और सहारा समूह के बीच चल रही खींचतान को देखते हुए सरकार जल्द से जल्द नियामक के अधिकारों में वृद्धि करना चाहती है।

कोलकाता के हाल के चिट फंड घोटाले ने सेबी और वित्तीय बाजारों से जुड़ी अन्य एजेंसियों के अधिकार बढ़ाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसी दिशा में वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग ने भी इस तरह के मसलों को संज्ञान में लिया है ताकि नए वित्तीय कानून लिखते वक्त इन बातों का ध्यान रखा जा सके। वैसे, आयोग सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है। फिलहाल सरकार चिट फंड कंपनियों के मामले में सेबी की सिफारिशों को ही तव्वजो दे रही है।

जांच पर वित्त मंत्रालय ने दी सफाई

कोलकाता के चिट फंड घोटाले की जांच में ढिलाई बरतने के आरोपों से इन्कार करते हुए सरकार ने कहा है कि इस मामले में उसकी कई एजेंसियां जांच में जुटी हैं। वित्त मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी करके कहा कि पूर्वी भारत के कम से कम 59 ऐसे मामलों में सेबी पहले से ही विभिन्न अदालतों में मुकदमा दर्ज कर चुकी है।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक सारधा समूह का मामला प्रकाश में आने के बाद सेबी, रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ने अपनी तरफ से कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके अलावा कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय इस घोटाले की जांच सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआइओ) से कराने का आदेश दे चुका है।

error: Content is protected !!