एसयूवी के मॉडलों में तब्दीली लाएगी महिंद्रा

mahindraनई दिल्ली। स्पो‌र्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) पर उत्पाद शुल्क बढ़ने से घरेलू यूटिलिटी बाजार की अगुवा महिंद्रा एंड महिंद्रा अपने मॉडलों में तब्दीली की योजना बना रही है। समूह ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि कम उत्पाद शुल्क के दायरे में बने रहने के लिए बाकी कंपनियों को भी बदलाव के लिए विवश होना पड़ेगा। इससे राजस्व बढ़ाने की सरकार की कोशिश नाकामयाब साबित होगी।

चालू वर्ष के बजट में एसयूवी पर उत्पाद शुल्क 27 फीसद से बढ़ाकर 30 फीसद कर दिया गया है। इससे क्वांटो को छोड़कर महिंद्रा एंड महिंद्रा के सभी मॉडल ज्यादा शुल्क के दायरे में आ गई हैं। दूसरी ओर, मारुति सुजुकी की यूटिलिटी वाहन अर्टिगा व रेनॉ की डस्टर पर टैक्स वृद्धि का असर नहीं हुआ है।

नए नियमों के मुताबिक, चार मीटर से ज्यादा लंबाई वाली, 1,500 सीसी इंजन क्षमता व 170 एमएम ग्राउंड क्लीयरेंस वाले यूटिलिटी वाहनों पर शुल्क में वृद्धि लागू हुई है।

महिंद्रा पहले भी चिंता जता चुकी है कि मौजूदा आर्थिक माहौल में अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने का फैसला सरकार के राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य के विपरीत साबित हो सकता है।

कंपनी के प्रेसीडेंट पवन गोयनका ने कहा कि टैक्स में बढ़ोतरी अपने आप में चिंताजनक बात है। मगर हमारी मुश्किल अतिरिक्त शुल्क के लिए निर्धारित किए गए नियमों के कारण ज्यादा गंभीर है। यदि डीजल सब्सिडी के मुआवजे के तौर पर टैक्स बढ़ाया गया है तो बाकी डीजल वाहनों पर टैक्स क्यों नहीं बढ़ाया गया? यदि समस्या सड़क पर जगह को लेकर है तो अन्य वाहनों पर टैक्स में बढ़ोतरी क्यों नहीं की गई? यदि यह अमीरों पर लगाया गया टैक्स है तो केवल कुछ कीमत दायरे वाले वाहनों पर ही टैक्स वृद्धि क्यों की गई?

गोयनका के मुताबिक, इस तरह की बढ़ोतरी से महिंद्रा अपने वाहनों को कम शुल्क दायरे में रखने के लिए वाहनों में बदलाव के लिए मजबूर होगी। नीतियों में स्थिरता की जरूरत है, इनमें लगातार बदलाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारी उद्योग मंत्री, सियाम की वित्त समिति के चेयरमैन व अन्य वाहन कंपनियों द्वारा जताए गए विरोध को ध्यान में रखते हुए सरकार शुल्क वृद्धि के फैसले पर पुनर्विचार करेगी।

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