सोनम वांगचुक: एक इनोवेटर से लेकर पर्यावरण योद्धा तक की यात्रा

सोनम वांगचुक, एक ऐसे शख्स, जिन्होंने हिमालय की बर्फीली चोटियों को अपनी प्रयोगशाला बनाया, शिक्षा को क्रांतिकारी रूप दिया और पर्यावरण संरक्षण को अपना जीवन मिशन बनाया। सोनम वांगचुक, जिनका जन्म 1 सितंबर 1966 को लद्दाख में हुआ, एक भारतीय इंजीनियर, इनोवेटर और शिक्षा सुधारक हैं। सोनम वांगचुक स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख … Read more

जीवनधारा नदियों के लुप्त होने का खतरा: संरक्षण का संकल्प

विश्व नदी दिवस – 28 सितम्बर, 2025 नदियां मात्र जलधाराएं नहीं हैं, वे जीवन की धमनियां हैं, सभ्यता की जननी हैं और प्रकृति का शाश्वत उपहार हैं। मानव सभ्यता का इतिहास गवाह है कि हर संस्कृति और हर महान नगरी का उदय नदियों के तट पर हुआ। गंगा, सिंधु, नील, अमेज़न, यांग्त्सी जैसी नदियाँ केवल भूगोल … Read more

विश्व पर्यटकों के लिये अनंत संभावनाओं का देश है भारत

विश्व पर्यटन दिवस- 27 सितम्बर, 2025 पर विशेष विश्व पर्यटन दिवस- 27 सितम्बर, 2025 इस बात का स्मरण कराता है कि पर्यटन केवल मनोरंजन का साधन भर नहीं है, बल्कि यह किसी भी राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति का आधार स्तंभ है। इस वर्ष की थीम कुछ स्रोतों में ‘पर्यटन और हरित निवेश’ … Read more

25 सितम्बर (आत्मलोचन)

एक बार किसी ने मुझें कहा :- “मैंने तुम्हारी आंख में हीरे की कनि देखी है. कही ऐसा तो नही कि, तुम्हें किसी ने सिखा दिया हो, सत्य पर टिके रहना, कर्तव्य का पालन करना, औ’ परोपकार करना ; ‘गर, ऐसा है तो, तुम्हारी आंखों में, आंसूओं का सैलाब भी उमडै, तो कोई आश्चर्य नही … Read more

रावण से बात

रामलीलाओं का उत्सव निकट जानकर, पिछले दिनों, उसके एक पात्र के रूप में हिस्सा लेने हेतु एक रोज मैं भी एक रामलीला कमेटी के दफ्तर जा पहुंचा. वहां लम्बी “क्यू” लगी हुई थी. हर कोई लाईन तोडकर घुसने की फिराक में था. जैसे-तैसे मैं भी लाईन में लग गया. वहां लाईन में खडे एक उम्मीदवार … Read more

अन्त्योदय नये भारत का आधारः वंचित के उत्थान का संकल्प

अन्त्योदय दिवस -25 सितंबर, 2025 भारत की सांस्कृतिक और दार्शनिक चेतना में सदैव यह विचार रहा है कि समाज की वास्तविक उन्नति तभी संभव है जब समाज का सबसे अंतिम व्यक्ति-वह व्यक्ति जो सबसे अधिक उपेक्षित, वंचित और अभावग्रस्त है, उसके जीवन में भी सुख, सम्मान और समृद्धि का प्रकाश पहुँचे। यही विचारधारा अंत्योदय के … Read more

‘‘राष्ट्रवाद के पथ प्रदर्शक और एकात्म मानव दर्शन के प्रवर्तक- पंडित दीनदयाल उपाध्याय’’

(25 सितंबर 2025, 109वीं जयंती पर विशेष आलेख) भारत की पावन भूमि सदैव से महापुरुषों की जन्मभूमि रही है। समय-समय पर यहाँ ऐसे युगपुरुष अवतरित हुए जिन्होंने अपने विचारों, कर्मों और त्याग से राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की। ऐसी ही पुण्य भूमि पर 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चन्द्रभान नामक गाँव … Read more

*आत्म निरीक्षण का अनूठा अवसर -पर्व पर्युषण *

पर्युषण पर्व आत्मशुद्धि और क्षमायाचना का प्रतीक है, बीते दिनों में हमने उपवास, साधना, सामायिक, प्रवचन और सत्संग किए, परंतु क्या इन साधनाओं से हम अपने स्वयं के बेहतर रूप तक पहुँचे क्या, इन दिनों ने हमें भीतर से कुछ बदला, या फिर सब कुछ वैसा ही रह गया जैसा पहले था।* *संवत्सरी प्रतिक्रमण के … Read more

“महाकाय गणेश भजन”

जय महाकाय बल के सागर, भक्तों के तुम हित-रक्षक ॥ विशाल काया अद्भुत बल, तेरे आगे न टिके कोई दल। धरती गगन तुझमें समाए, तेरी महिमा जग में छाए। शक्ति पुंज तेरे चरणों में, भय न टिके भक्तों मन में। तू ही आधार जगत का दाता, हर संकट का तू है त्राता। असुर दलन, सज्जन … Read more

*सबसे बड़ा धर्म*

मनुष्य के हाथों मैं पांच उंगलियां होती है। वह सब एक समान नहीं होती कहते हैं । कहते पांचों उंगलियां  बराबर नहीं होती। कोई छोटी, कोई बड़ी, कोई मोटी, कोई पतली होती है। लेकिन फिर भी वह एक हथेली से जुड़ी रहती है। कोई कोई *उंगली यदि हथेली से अलग* हो जाए तो वह सुखकारी … Read more

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