हरकीत हीर की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद
मूल: हरकीत हीर घरौंदे …. उसने कहा – तुम तो शाख़ से गिरा हुआ वह तिनका हो जिसे बहाकर कोई भी ले जाये मैंने कहा – शाख़ से गिरे हुए तिनके भी तो घरौंदे बन जाते हैं किसी परिंदे के … संपर्क -हरकीरत ‘हीर’, १८ ईस्ट लेन , सुंदरपुर , हॉउस न-५ , गुवाहाटी- ७८१००५ … Read more