रात के बारह बजे क्यों तोड़ते हैं व्रत?
एक सृष्टि वह है, जो हमारे चारों ओर विद्यमान है, उसके हम अंग हैं, हम उसी के अनुरूप उठते-बैठते, खाते-पीते हैं, हम उससे बंधे हुए हैं, मगर एक सृष्टि वह भी है, जो हम निर्मित करते हैं। हमारे आस-पास। जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि का कथन उसी संदर्भ में है। ऐसा नहीं है कि जैसी हमारी … Read more