साहू को पिछवाई चित्रण पर मिलेगा राष्ट्रपति पुरूस्कार

अजमेर का नाम किया रोषन
kalyan sahu art001अजमेर। अजमेर जिले के ब्यावर के पास छोटे से गॉव तितरडी मे एक साधारण गरीब परिवार मे जन्म लेने वाले तेली किसान स्व. हीरालाल बालोदिया के बेटे कल्याण मल साहू नेे अपने हाथ की कला को परदे पर उतारते हुए नाथद्वारा चित्रकला शैली ( पिछवाई )को दिल्ली मे आयोजित हस्तषिल्प प्रतियोगिता मे भेजा। इस पेन्टिग मे षरद की पूर्ण चन्द्रिका मे श्री कृष्ण का महारास को दर्षाया गया हैं। नाथद्वारा चित्रकला शैली मे बनाई श्रीकृष्ण की महारास को देषी प्राकृतिक रंगो से र्निमित चित्रकला को बनाने वाले पेन्टर कल्याण मल साहू को मास्टर क्राफ्टमेन से नवाजा जाऐगा। साहू द्वारा बनाई गई नाथद्वारा चित्रकला शैली (पिछवाई) पेन्टिग को राष्ट्रीय स्तर पर पुरूस्कृत किया जाऐगा। कल्याण साहू को 1 जुलाई को दिल्ली मे आयोजित सम्मान समारोह मे राष्ट्रपति द्वारा एक लाख रूपये, ताम्ब्रपत्र और अंगवस्त्र पुरूस्कार स्वरूप सम्मानित किया जाऐगा।
षरद की पूर्ण चन्द्रिका मे श्री कृष्ण का महारास हुई पुरूस्कृत
इस चित्र मे श्रीमद्भगवत पुराण मे वर्णित दषम स्कन्ध के पूर्वाद्ध मे श्री कृष्ण व उनकी प्रिय गोपियो के षरद पूर्णिमा के वर्णन को नाथद्वारा चित्रकला शैली मे चित्राकंन किया गया है। श्री कृष्ण शरद की पूर्ण छिटकती चादनी रात मे गोपियो के साथ संगीत व वाद्य यंत्रो के नाद के साथ बांसुरी बजाते हुए नृत्य कर रहे है, सहस्त्रों गोपियों के मध्य श्री कृष्ण तारक समूह के मध्य पूर्ण चन्द्र के समान शोभित है। प्रत्येक गोप बालाओ के साथ मण्डलाकार नृत्य मे में श्री कृष्ण के साथ है। आत्मा (गोपिया) व परमात्मा का महामिलन हो रहा हो। एक ही परमात्मा असंख्य आत्माओं (गोपियां )े के साथ मानो एकाकार हो रहे हो। ब्रह्माणी सह ब्रह्मा, पार्वती सह महादेव, इन्द्राणी सह इन्द्र , देवगण, ऋषिगण, नारद व अन्य सभी श्री कृष्ण के मधुर महारस को देखने नभ मण्डल मे अपने वाहनो, विमानों मे आरूढ हा श्री कृष्ण के दर्षन कर कृतार्थ हो रहे हो साथ ही पषु, पक्षी, वृक्ष, जमुना के साथ मानो सारी प्रकृति इस महारास में उसका एक अंग बन नृत्य कर रही हो।
पिछवाई चित्रण विद्या: वैष्णव मन्दिरो मे भावानुसार सुसज्जिद होने वाले पिछवाई चित्रण के हाथ से बुना मोटा खुरदरा सूत्री वस्त्र को चित्रकारी हेतु प्रयोग मे लाऐ जाने के तैयार (प्रोसेस) किया जाता हैं इस प्रकिया मे सर्व प्रथम गर्म पानी मे अरारोट को उबालकर लेई जैसा पेस्ट तैयार कर ठन्डा होने के बाद समतल धरातल पर सूत्री वस्त्र रख कर लेई के साथ पेस्ट कर दिया जाता है। जिसे कलफ या मांड भी कहते है।कपडा सुखने के बाद कपडे को चिकना बनाने के लिए हकीक पत्थर या पेपरवेट से कपडेे को रगडा जाता है। कपडे पर चिकनाहट पर चित्रकार वन्दना करने के बाद बारीक ब्रष से हलके गेरू रंग से विषय अनुसार आकृतियो व आकारो को रेखाकिंत या कच्ची लिखाई करता है। चित्रकार खनिज मिट्टी के रंगो मे गोंद व पानी मिलाकर उसे बारीक पीस कर तैयार करता है। प्रयोग मे लिए जाने वाले प्रमुख रंग गेरू, सिन्दूर, प्यावडी, नील, हीगलू, हरादाना, काजल,एवं सफेदा मुख्य है। अन्त मे स्वर्ण रंग का प्रयोग व सफेद मोतियो की माला बनाने का काम किया जाता है। शुक्ष्म काली रेखाओ से अन्तिम रूप दिया जाता है। रंगो के समुचित जमाव व चमक के लिए हकीक पत्थर से पूरी पिछवाई की घुटाई की जाती है।

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