नसीराबाद सीट पर संघ की रहेगी विशेष नजर…

RSSनसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में उप-चुनाव में ना केवल भाजपा व कांग्रेसी नेताओं की सांस अटकीरहेगी, वही साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पैनी नजर भी इन चुनावों के हर पहलु पर रहेगी।टिकिट वितरण से लेकर बूथ मेनेजमेन्ट तक संघ के कार्यकर्ता सहयोग करेगे। पर सूत्रों की माने तोनसीराबाद का उप-चुनाव, संघ के अजमेर प्रभाग में चल रहे कई विशेष प्रकल्पों के भविष्य की दिशाऔर दशा भी तय करेगे।
दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में वाजिद अली चीता, जिस पर राष्ट्र-द्रोह का मुकदमा था, जेल सेचुनाव लड़कर 22000 वोट पाने में सफल हुआ। इसे संघ, इस क्षेत्र में अतिवादी तत्वों के बढ़ते हुएप्रभाव के रुप में देखता है। हालांकि संघ का एक प्रकल्प इस बाबत् काम करने में कई वर्षों से जुटा हैपर इस प्रयत्नों के परिणाम आशाओँ के अनुरुप नही आये है।
गौरतलब है कि मसूदा औऱ नसीराबाद के इलाको में रावत, मेहरात तथा चीता समुदाय निवास करतेहै जो कि ऐतिहासिक रुप से एक ही समुदाय का हिस्सा थे। कालान्तर में राजनैतिक परिस्थितियों केकारण रावत समुदाय के कुछ हिस्से ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया पर कुछ ऐसे भी थे जो इस्लामकबूलने के बाद फिर से हिन्दू धर्म की ओऱ लोट आये। जिन लोगो ने इस्लाम अपना लिया वे अब चीता या काठात समुदाय के रुप में जाने जाते है, जबकि जो जिन्होने फिर से हिन्दू धर्म अपनाया उन्हे मेहरात के रुप में जाना जाता है। विड़म्बना ये है कि मेहरातों की घर वापसी पूरी तरह से नही हो पायी तथा बाहरी तत्वों की गतिविधियों के कारण, संघ के मुताबिक, नसीराबाद-मसूदा इलाके में धर्म परिवर्तन बदस्तूर जारी है।
संघ ने अभी तक केवल सामाजिक परिवर्तन को अपने फोकस में रखा था पर बिगड़ते हालातों केमध्येनजर संघ अब राजनैतिक रुप से भी इलाके में चेतना लाये जाने पर विचार कर रहा है। ऐसे मेंनसीराबाद विधानसभा क्षेत्र का भाजपा का टिकिट संघ के करीबी किसी व्यक्ति को मिलने कीसंभावना से इंकार नही किया जा सकता।
नसीराबाद इलाके से बीपी सारस्वत संघ से कई दशकों से जुड़े रहे है पर हाल ही में राज्य नेतृत्व ने उन्हे संगठन में जिम्मेदारी दे कर उनके दावे को लगभग समाप्त कर दिया है। वही पूर्व सांसद रासासिंह रावत की संघ के पदाधिकारियों से करीबी को देखते हुए, संघ नसीराबाद से टिकिट तय किये जाने से पहले उनसे विचार विर्मश कर सकता है। सांसद रासासिंह रावत की एक पुत्रवधु मेहरात समुदाय से है तथा रावत औऱ मेहरात दोनो समुदायों में रावत खासी पकड़ रखते है।
ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत ने चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले जलालुद्दीन काठात नामक एक लेक्चरर जो कि ब्यावर के सरकारी कॉलेज में कार्यरत था, उसका तबादला करवाया, जिसका काठात समुदाय में भारी विरोध हुआ। हालांकि शंकर सिंह का यह काम चुनावी राजनिती से प्रेरित था परन्तु काठात समुदाय से भाजपा की खाईयो को ऐसे मामले लगातार बढा रहे है। ब्यावर विधायक रावत स्वयं मेहरात समुदाय के है औऱ कहा जाता है कि भाजपा के बोर्ड में सेन्ध मारकर जवाजा के प्रधान बनने से पहले खाड़ी देशो में मुस्लिम नाम से ट्रक ड्राइवरी किया करते थे।ऐसे में निम्न दर्जे के राजनितिक मामले मेहरात औऱ काठात समाज की खाई को बढ़ाने वाले साबित हो रहे है औऱ संघ इस स्थिती को लेकर काफी चितिंत है।

राहुल चौधरी
राहुल चौधरी

दूसरी ओर संघ की अन्दरुनी राजनीति भी नसीराबाद के मुकाबले को रोचक बना रही है। अजमेर प्रभाग संघ के चित्तोड़ प्रांत का हिस्सा है जिसके प्रमुख गजेन्द्रसिंह शेखावत है जिन्हे राज्य में भाजपा का संगठन महामंत्री बनाने की भी चर्चा थी। शेखावत, जयपुर के जोबनेर के रहने वाले है वही राजस्थान में संघ का काम दुर्गादास जोशी देखते है। नसीराबाद का उप-चुनाव शेखावत के लिए भी अपना राजनितिक कौशल औऱ संघ की नीति औऱ संस्कार के प्रसार की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। अब जब संघ अपने प्रोजेक्ट-ब्यावर के पुनर्गठन पर गंभीरता से विचार कर रहा है, ऐसे मौके पर नसीराबाद उप चुनावों में संघ की नीति और मार्गदर्शऩ की दिशा उसके भविष्य के कार्यक्रमों के आधार पर तय किये जाने की संभावना बढ़ जाती है।
-राहुल चौधरी

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