देवनानी और भदेल के मंत्री बनने से अजमेर का महत्व बढ़ा

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

अजमेर, (एस.पी. मित्तल): प्रो. वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल को मंत्री बनाए जाने से प्रदेश की राजनीति में अजमेर का महत्व और बढ़ गया है। प्रो. देवनानी और श्रीमती भदेल अजमेर शहर से ही भाजपा के विधायक है।
सोमवार को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल का जो विस्तार किया उसमें देवनानी और भदेल को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया। देवनानी पूर्व में भी राजे मंत्रिमंडल में शिक्षा राज्यमंत्री थे इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि देवनानी को इस बार केबिनेट मंत्री बनाया जाएगा लेकिन देवनानी को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ही बनाया गया। श्रीमती भदेल पहली बार मंत्री बनी और पहली बार में ही स्वतंत्र प्रभार का दर्जा हासिल किया। हालाकि मंत्रिमंडल विस्तार में भदेल का नाम चर्चाओं में नहीं था क्योंकि कुछ दिनों पहले ही भदेल को भाजपा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया था। चूंकि भाजपा में एक व्यक्ति एक पद के नियम को लागू किया जाता है इसलिए यही माना गया कि अब श्रीमती भदेल मंत्री नहीं बनेगी। रविवार को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अजमेर जिले के सात भाजपा विधायकों में से सिर्फ देवनानी को ही मंत्री की शपथ लेने के लिए जयपुर बुलाया लेकिन सोमवार को सुबह मुख्यमंत्री ने अनिता भदेल को भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दे दिया। श्रीमती भदेल के लिए यह भी अच्छी खबर है कि उन्हें पहली बार में ही स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया है। हालांकि श्रीमती भदेल भी देवनानी की तरह लगातार तीसरी बार विधायक बनी है। जानकार सूत्रों के अनुसार श्रीमती भदेल को मंत्री बनवाने में राजस्थान  धरोहर संरक्षण एवं प्रन्नोति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत की सक्रिय भूमिका रही। लखावत के प्रयासों से ही अजमेर शहर में भाजपा की राजनीति में संतुलन बनाए रखा गया। यदि सिर्फ देवनानी को ही मंत्री बनाया जाता तो श्रीमती भदेल के समर्थकों को निराशा होती। बदली हुई परिस्थितियों में श्रीमती भदेल का पलड़ा भारी हो गया है। भदेल फिलहाल संगठन में उपाध्यक्ष के पद पर भी बनी हुई है।
शहर में सिमटा जिले का प्रतिनिधित्व
राज्य मंत्रिमंडल में अब अजमेर जिले का प्रतिनिधित्व शहर में ही सिमटकर रह गया है। जिले के आठ विधायकों में से 7 भाजपा के हैं। किशनगढ़ के विधायक भागीरथ चौधरी और ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत दूसरी बार विधायक चुने गए। जबकि पुष्कर के सुरेश रावत, मसूदा की श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा तथा केकड़ी के शत्रुघ्न गौतम पहली बार विधायक बने हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार मसूदा की विधायक श्रीमती पलाड़ा को मंत्री बनाए जाने का उच्चस्तरीय दबाव था, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से तालमेल नहीं होने की वजह से श्रीमती पलाड़ा को अवसर नहीं मिला। श्रीमती पलाड़ा के पति युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक से सम्पर्क साधा था। श्रीमती पलाड़ा अजमेर की जिला प्रमुख भी रह चुकी हैं। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि दोनों मंत्री अब शहरी क्षेत्र के ही है।
जाट अब सिर्फ सांसद: गत लोकसभा चुनाव से सांसद निर्वाचित होने के बाद भी प्रदेश के जल संसाधन मंत्री बने रहने वाले प्रो. सांवरलाल जाट अब सिर्फ सांसद ही रह जाएंगे। 12 मंत्रियों की अनिवार्यता के चलते हुए जाट को मंत्रिमंडल का सदस्य बनाए रखा गया था। हालांकि नियमों के मुताबिक जाट ने सांसद की शपथ लेने से पहले विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। चूंकि विधायक नहीं होने पर भी छह माह तक मंत्री बना रहा जा सकता है, इसलिए जाट को केबिनेट मंत्री बनाए रखा गया। लेकिन जाट को राजनीति में तब झटका लगा, जब उनके निर्वाचन क्षेत्र नसीराबदा के उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सरिता गैना की हार हो गई। उपचुनाव के परिणाम की वजह से ही अजमेर जिले में कांग्रेस एक सीट जीतने में सफल रही।
बढ़ेगा महत्त्व: अजमेर में दो विधायकों के स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनने से भी अजमेर का महत्त्व बढ़ेगा। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और पवित्र तीर्थ पुष्कर के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने अजेमर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही की अपनी अमेरिका यात्रा में एक समझौता भी किया है। माना जा रहा है कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अमेरिका के विशेषज्ञों का एक दल शीघ्र ही अजमेर आएगा। उस समय शहर के दोनों मंत्रियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी। अजमेर के लोगों को भी अब छोटी-छोटी समस्याओं के लिए इधर-उधर भागना नहीं पड़ेगा, क्योंकि देवनानी और भदेल अपने ही शहर में रहकर समस्याओं का समाधान करेंगे। देवनानी अपने उत्तर व श्रीमती भदेल अपने दक्षिण विधानसभा क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं और दोनों का ही भाजपा के आम कार्यकर्ताओं से सीधा सम्पर्क है। यही वजह है कि शहर भर के भाजपा कार्यकर्ताओं में हर्ष का माहौल है।
निगम चुनाव पर नजर: शहर के दोनों भाजपा विधायकों को मंत्री बनाने के पीछे अगले वर्ष होने वाले नगर निगम के चुनाव को भी देखा जा रहा है। इस बार निर्वाचित पार्षद ही नगर निगम के मेयर का चुनाव करेंगे। इसलिए शहर के दोनों विधायकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। यदि दोनों विधायकों में तालमेल नहीं हुआ तो भाजपा का मेयर चुना जाना मुश्किल हो सकता है। देवनानी के साथ-साथ भदेल को भी मंत्री बना दिए जाने से अब दोनों के ही समर्थक खुश हो गए हैं। अब यह दोनों पर जिम्मेदारी होगी कि बिना किसी बाधा के भाजपा का मेयर चुना जाए। गत बार मेयर का चुनाव सीधे मतदाताओं के द्वारा किया गया था, तब कांग्रेस के कमल बाकोलिया मेयर बने।

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