अजमेर की जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक के मन में नवनिर्वाचित जिला प्रमुख वंदना नोगिया के प्रति कोई सम्मान नहीं है? यह सवाल इसलिए उठा है, क्योंकि गत 7 फरवरी को डॉ. मलिक ने अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे ही वंदना नोगिया को जिला प्रमुख की शपथ दिलवाई। डॉ. मलिक ने जब नोगिया को शपथ दिलाई तब मौके पर स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष प्रो. बी.पी.सारस्वत आदि बड़े नेता भी उपस्थित थे। वंदना नोगिया निर्विरोध जिला प्रमुख बनी थी। डॉ. मलिक ने जिला निर्वाचन अधिकारी की हैसियत से पहले तो नोगिया के जिला प्रमुख बनाने की घोषणा की। फिर तत्काल ही जिला प्रमुख के पद की शपथ दिलाई गई। असल में यह शपथ भारतीय संविधान के अनुरूप होती है, ऐसे में शपथ दिलाने वाले अधिकारियों को भी खड़ा होना चाहिए। हमने टीवी चैनलों पर देखा है कि राज्यों में जब मंत्रियों को शपथ दिलाई जाती है, तब राज्यपाल खड़े होते हैं। इसी प्रकार केन्द्रीय मंत्रियों के शपथ लेने के समय देश के राष्ट्रपति भी खड़े रहते हैं, यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा निर्धारित प्रोटोकोल में जिला प्रमुख का पद कलेक्टर से पहले आता है। वैसे भी अजमेर के लिए और खासकर महिलाओं के लिए यह महत्त्वपूर्ण अवसर था कि जब अनुसूचित जाति की कोई महिला जिला प्रमुख की शपथ ले रही थी। गंभीर बात तो यह है कि मौके पर उपस्थित भाजपा के किसी भी नेता ने इतनी हिम्मत नहीं जुटाई कि वे कलेक्टर को वंदना नोगिया का सम्मान करने के लिए कहते।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)
1 thought on “क्या कलेक्टर के मन में जिला प्रमुख का सम्मान नहीं”
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आज के दौर में कलक्टर जैसे पद पर बैठे अधिकारी अपने आप को राजा समझते हैं न कि जनता का सेवक. सम्मान का भाव तब आता है जब कोई भय हो. खासकर जन प्रतिनिधि जब तक अपने आप में सम्मान पैदा नहीं कर लेते उनको सम्मान मिलेगा इसमें संशय ही रहेगा.