पीएम नरेन्द्र मोदी ने अजमेर के अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए अजमेर को स्मार्ट और हेरिटेज सिटी बनाने चाहते हैं। अजमेर के लोगों की यह शिकायत रही थी कि अजमेर राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ रहता है, लेकिन इस बार पीएम मोदी और सीएम वसुंधरा राजे ने अजमेर के नागरिकों की यह शिकायत भी दूर कर दी। मोदी ने जहां अपने केन्द्रीय मंत्रीमंडल में अजमेर के भाजपा सांसद सांवरलाल जाट को जल संसाधन राज्यमंत्री बनाया है, वहीं सीएम वसुंधरा राजे ने अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल को राज्यमंत्री बनाया है। इतना ही नहीं अजमेर में सक्रिय राजनीति करने वाले भाजपा के दिग्गज नेता औंकार सिंह लखावत को भी राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी अजमेर के राजनीतिक महत्त्व को बढ़ाते हुए अजमेर के निवासी और राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव को भाजपा का राष्ट्रीय महामंत्री बना रखा है, यानि इस समय भाजपा के पांच दिग्गज नेता महत्त्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं। इतना ही नहीं देवनानी को तो सीएम ने अजमेर का प्रभारी मंत्री भी बना रखा है। लेकिन इसे बेहद ही शर्मनाक कहा जाएगा कि अजमेर नगर निगम के सीईओ सी.आर.मीणा को पुलिस मदद के लिए कलेक्टर और एसपी को पत्र लिखना पड़ा रहा है। भाजपा के इन पांचों नेताओं को यह जवाब देना चाहिए कि आखिर नगर निगम अपने स्तर पर अस्थाई अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम क्यों नहीं है? प्रभारी मंत्री की हैसियत से देवनानी आए दिन अजमेर में बैठकें लेते हैं और इसी प्रकार अनिता भदेल भी राज्यमंत्री का रुतबा जताते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को दिशा-निर्देश देती रहती हैं। क्या इन दोनों मंत्रियों का यह दायित्व नहीं बनता कि पीएम मोदी की पहल पर बनने वाले स्मार्ट और हेरिटेज सिटी में सहयोग करें? क्या यह दोनों मंत्री सिर्फ अजमेर में लाल बत्ती की कार लेकर घूमने के लिए हैं। निगम के सीईओ मीणा ने जिस प्रकार अपनी लाचारी दिखाते हुए कलेक्टर एसपी को पत्र लिखा है, उससे भाजपा के इन पांचों दिग्गजों को थोड़ी तो शर्म महसूस करनी चाहिए। अफसोसजनक बात तो यह है कि सीईओ के पत्र पर कलेक्टर एसपी ने जो प्रतिक्रिया दी है, वह तो पांचों दिग्गज नेताओं पर हथौड़ा मारने के समान हैै। कलेक्टर आरुषि मलिक ने कहा कि मेरी नजर में सीईओ का पत्र कोई मुद्दा ही नहीं है। इसी प्रकार एसपी महेन्द्र चौधरी ने कहा कि यह दो विभागों के बीच का आपसी मामला है। यानि जिस अजमेर में पांच-पांच दिग्गज नेता हो, उस अजमेर के एसपी, कलेक्टर इस तरह के बयान देकर नागरिकों का भी अपमान कर रहे हैं। अगस्त में अजमेर नगर निगम के चुनाव होने हैं। तब यह पांचों दिग्गज नेता यही दुहाई देंगे कि सत्ता की कड़ी से कड़ी जोडऩी है। इसलिए भाजपा को जिताएं। लेकिन सीईओ मीणा के लाचारी भरे पत्र पर ये पांचों नेता खामोश हैं। आखिर सत्ता का सुख भोग रहे इन नेताओं के सामने ऐसी कौनसी मजबूरी है, जिसकी वजह से मुंह पर ताला लगा हुआ है। क्या इन नेताओं का अपनी अफसरशाही पर कोई नियंत्रण नहीं है? संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर राज्य सरकार के निर्देशों पर अपने ही बलबूते पर स्मार्ट सिटी के लिए भागदौड़ कर रहे हैं, लेकिन इन पांचों नेताओं ने अभी तक भी संयुक्त रूप से स्मार्ट सिटी के लिए कोई बैठक नहीं की है। सब जानते हैं कि इन पांचों नेताओं में कितनी राजनीतिक खींचतान है, जहां अजमेर शहर उत्तर और दक्षिण में बंटा हुआ है, तो वहीं स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और अजमेर के सांसद सांवरलाल जाट के बीच आपसी बोलचाल भी बंद हो गई है। औंकार सिंह लखावत तो अजमेर के लफड़ों में पडऩा ही नहीं चाहते हंै। भूपेन्द्र सिंह यादव ने तो अजमेर आना ही बंद कर दिया है। समझ में नहीं आता कि आखिर यह नेता अजमेर के लिए किस काम के हैं। जहां पीएम मोदी अजमेर को स्मार्ट और हेरिटेज सिटी बनाना चाहते हैं, वहां सत्तारूढ़ पार्टी के पांचों नेता एक जुटता नहीं दिखा रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511