स्मार्ट सिटी- हेरिटेज सिटी के लिए दिए सुझाव

उमेश चौरसिया
उमेश चौरसिया
माननीय प्रो. वासुदेव जी देवनानी,
षिक्षा राज्य मंत्री, राजस्थान सरकार
एवं प्रभारी मंत्री अजमेर।

महोदय,

स्मार्ट सिटी व हैरीटेज सिटी बनने जा रहा अजमेर राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी मानी जाती रही है। इस नाते अजमेर को सांस्कृतिक एवं पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित करने हेतु कुछ सुझाव यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँः–
1. आपके सूचनार्थ निवेदन है कि 5-6 वर्ष पूर्व नगर सुधार न्यास (अब अजमेर विकास प्राधिकरण) द्वारा विष्व पटल पर भारतीय संस्कृति व धर्म की ध्वजा फहराने वाले युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानन्द की स्मृति स्वरूप एक स्मारक ‘विवेकानन्द स्मृति वन‘ का निर्माण हरिभाऊ उपाध्याय नगर/कोटड़ा क्षेत्र में लगभग 70 एकड़ के भूखण्ड पर करने की योजना स्वीकृत की थी। इस योजना के तहत समय-समय पर कुछ कार्य हुए भी हैं, किन्तु धीमी गति के कारण इस योजना को अब तक मूर्त रूप नहीं मिल पाया है।
अतः निवेदन है कि इस स्मृति वन को कन्याकुमारी स्थित ‘विवेकानन्द षिला स्मारक‘ की प्रतिमूर्ति के रूप में विकसित करते हुए निम्नांकित व्यवस्थाएं कर ली जाएं तो यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल व सांस्कृतिक केन्द्र बन सकता हैै:-
1. सामने स्थित षिला पर स्वामी विवेकानन्द की भव्य प्रतिमा की स्थापना हो। 2. ध्यान, योग व आध्यात्मिक समागम हेतु एक विषाल ‘ध्यान मण्डप‘ होें। 3. स्वामी विवेकानन्द के जीवन से प्रेरणा देने वाले तथा भारतीय संस्कृति से परिचय कराने वाली एक कम्प्यूटरीकृत डिजिटल प्रदर्षनी दीर्घा हो। 4. भारतीय दर्षन, अध्यात्म, योग, सांस्कृतिक विरासत इत्यादि से संबंधित सत्साहित्य के संग्रह व पठन-पाठन के लिए उपयुक्त पुस्तकालय व वाचनालय हो। 5. एक ‘भारत गौरव उद्यान‘ बने, जिसमें ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से भारत का गौरव बढ़ाने वाले महापुरूषों व महत्वपूर्ण घटनाओं को आकर्षक व कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया जाए। यहाँ विष्वप्रसिद्ध पुष्कर तीर्थ के महात्म्य व ख्वाजा मोइनुद्दीन चिष्ती की दरगाह के वैषिष्ट्य को भी दर्षाया जाए। इसे ‘कल्चरल हैरीटेज पार्क‘ के रूप में विकसित किया जाना उपयोगी होगा। 6. भारतीय मंत्र, श्लोक व प्रार्थनाओं के स्वर-संगीत पर आधारित म्यूजिकल फाउन्टेन भी इस उद्यान में लगाये जाएं।

उक्त प्रकार की व्यवस्थाओं से संपन्न यह स्मृति वन यहाँ वर्षभर आने वाले देषी-विदेषी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन सकेगा, इससे पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही विष्वभर के लोगों को भारतीय संस्कृति की विषिष्टताओं से परिचित भी कराया जा सकेगा।
2. अजमेर में जनसंपर्क विभाग के अधीन सूचना केन्द्र शहर के मध्य स्थित होने तथा यहाँ पर्याप्त स्थान उपलब्ध होने के कारण इसे जयपुर के जवाहर कला केन्द्र/भोपाल के ‘भारत भवन‘ की तर्ज पर सूचना केन्द्र को एक कला भवन (सांस्कृतिक केन्द्र) के रूप में विकसित किया जाए। यहाँ वर्तमान छोटे हॉल को यथावत रखते हुए एक आधुनिक सुविधायुक्त बड़ा रंगमंच, एक अर्धगोलाकार रंगशाला, राजस्थानी लोककला व मंचीय कलाओं के लिए प्रशिक्षण केन्द्र, आधुनिक प्रदर्शनी दीर्घा, कलाकारों-साहित्यकारों के ठहरने हेते आवास, केन्टीन इत्यादि की व्यवस्था हो।
3. पंचषील नगर स्थित चाणक्य स्मारक में बने खुले रंगमंच को विकसित करते हुए यहाँ लाइट, माइक, ग्रीनरूम, टायलेटं, केन्टीन इत्यादि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं ताकि यह ओपन थियेटर के रूप में उपयागी बन सके। यह शायद् अजमेर विकास प्राधीकरण ने स्वीकृत भी किया है किन्तु अभी कार्य आरंभ नहीं हो पाया है।
4. सुभाष उद्यान स्थित वीर वाटिका में जयपुर की तर्ज पर एक वृत्ताकार लघु गार्डन थियेटर विकसित किया जाए तथा यहाँ कलात्मक कटिंग से सजे आकर्षक पौधों वाला एक सुन्दर उद्यान विकसित किया जाए।
5. आनासागर के चारों ओर एक सुन्दर सर्क्युलर पाथ वे का निर्माण हो। चौपाटी से रीजलन कॉलेज मार्ग को जोड़नेवाला एक आनासागर ओवर ब्रिज पाथ वे बनें। यह आमजन के लिए सुविधाजनक भी होगा और पर्यटन आकर्षण का केन्द्र भी बनेगा।
6. अजमेर के विविध चौराहों पर अजमेर से संबद्ध महापुरूषों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएं।

सांस्कृतिक विविधता और शौर्य का गौरव लिये राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी है-अजमेर। अब स्मार्ट सिटी के रूप में हमारा अजमेर अपनी सांस्कृतिक प्रतिष्ठा को बनाये रखते हुए देष-दुनिया में अपनी विषिष्ट पहचान स्थापित करे, यही हमारा स्वप्न है। आषा रखते हैं कि उक्त सुझावों पर सकारात्मक विमर्ष करते हुए इन्हें स्मार्ट सिटी की योजना में सम्मिलित करेंगे। हर प्रकार के सहयोग के लिए हम तत्पर रहेंगे। सादर,

उमेश कुमार चौरसिया
मंत्री/नाट्यविधा संयोजक
संस्कार भारती-चित्तौड़प्रान्त
(रंगकर्मी एवं साहित्यसेवी)
सह प्रमुख, विवेकानन्द केन्द्र राजस्थान

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