पुष्कर में कांग्रेस कोप भवन में

अनिल पाराशर
अनिल पाराशर
ऐसा लगता हे की कांग्रेस नाम की कोई पार्टी न हो—-जी हा नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस की हुई करारी हार से अभी तक सदमे से उभर नही पाई और चुनाव के 11 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक कांग्रेस कोप भवन में बेठ रखी हे अब ऐसा लगता हे की पुष्कर में इस नाम की कोई पार्टी नही हो। बस सब सत्ता आती हे तब ही घरो से बाहर निकलते हे चाहे वो भाजपा हो या कांग्रेस सब बस अपनी अपनी रोटिया सेकने में लग रखे हे इनको जनता की समस्याओ से कोई लेना देना नही इनको तो बस अपने कामो से लेना हे इन पर एक ही कहावत लागु होती हे की अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता सत्ता पक्ष के तो लोगो की मज़बूरी हे की वो अपनी पार्टी के खिलाफ झंडा नही उठा सकते पर कांग्रेस की इसी क्या मज़बूरी हे की वो जनता की आवाज को उठाने में काप रहे हे और चुपचाप मूक दर्शक की भांति बेठे हुए हे पुष्कर पालिका बोर्ड की यह स्थिति हो रखी हे की विपक्ष की भूमिका सत्ता पक्ष के लोग ही अदा कर रहे हे चाहे वो गोपाल मेम्बर के कार्यकाल में हो चाहे मंजू कुर्डिया के अब कमल पाठक के कार्यकाल में भी यही परम्परा चालू हो रखी हे विपक्ष की भूमिका सता पक्ष के लोग ही निभा रहे हे। पर असली विपक्ष मूक दर्शक बनकर तमाशा देखता रहता हे उसमे हिम्मत नही रहती की वो लोगो की आवाज उठाए बस इनका एक ही रट रटाया शब्द रहता हे की हम क्या करे हम सता में ही नही हे हमारी सुनता कोंन हे। यह सब बस सत्ता के लालची हे जो सत्ता आने के बाद ही पुष्कर के किंग बनकर घूमते हे फिर हार जाने के बाद वापस कोप भवन में बेठ जाते हे।अह सोचकर की पांच वर्ष बाद हम वापस आ जायेंगे क्योंकि पुष्कर में हर पांच वर्ष बाद पुष्कर की जनता सत्ता परिवर्तन कर देती हे लेकिन इनको यह मालूम नही की जनता की कसोटी पर खरे उतरने वाले और जागरूक जनप्रतिनिधियो का आज भी पालिका में रुतबा कायम हे और इनके कार्यो को देखते हुए जनता इन्हें वापस सराखो पर बिठा सकती हे पालिका में आज भी महेश पाराशर सारिका वैष्णव जेसे जागरूक पार्षद मोजूद हे तो वही पालिका अध्यक्ष कमल पाठक ने एक ऐसा कार्य कर डाला जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकते पुष्कर के युवाओ की वर्षो से चली आ रही खेल मैदान की मांग को उन्होंने पूरी करके हजारो युवाओ के दिल में अपनी जगह बना ली तो वही जयनारायण दग्दी मंजू शर्मा मंजू बाकोलिया शिवस्वरूप महर्षि जनता की कसोटी पर खरे उतरने के कारण जनता ने पुन उन्हें मोका दिया जनता समझदार और पढ़ी लिखी हे की वह अच्छी तरह से जानती हे की कोंन जनप्रतिनिधि जागरूक हे और कोंन नही ।इसलिए दोनों ही पार्टियों को अपनी सोच बदलनी होगी ।और अपनी अपनी भूमिकाओ को बेखुबी से अंजाम देना होगा यह नही सोचे की अभी तो चार वर्ष बाकि हे बाद में सब सेट कर लेंगे लेकिन यह नही हो जाये की जब चिड़िया चुग गई खेत अब पछताने से क्या होता हे। पुष्कर हम सभी का हे इसके विकास में पार्टी बाजी नही लाकर सभी एकजुट होकर कार्य करे तो बहुत ही अच्छा होगा ।
अनिल सर बदलता पुष्कर

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