लेकिन पुष्कर जनप्रतिनिधि चुप क्यों ?
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पुष्कर में मेले की बैठक आयोजित की गई जिसमे बड़े बड़े प्रसासनिक अधिकारी और नेता थे उन नेताओ के बिच में से पुष्कर के पार्षदों को बाहर भेज दिया गया मिडिया कर्मियो के प्रवेश पर रोक लगा दी गई और कोई भी नही बोला यहाँ तक की पुष्कर विधायक भी बैठक में थे उन्होंने भी कुछ नही कहाँ ।वेसे तो सब वाट्स एप्प पर ज्ञान की उल्टिया करते हे और कहते हे की कोई काम हे तो बताओ लेकिन बैठक में पार्षदों को नही बैठने देना और मिडिया के प्रवेश पर रोक पूरी पुष्कर की जनता का अपमान हे जिसके लिए वो जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हे जो अंदर बैठक में मूक दर्शक बन कर बेठे रहे और प्रशासन दादागिरी करता रहा।धन्य हो ऐसे नेता जो अपने पार्षदों अपनी जनता की आवाज नही उठा सके।जबकि अंदर बेठे नेताओ को ये सोचना चाहिए था ये उनका भी अपमान हे लेकिन चुपचाप। बेचारे पार्षदों की हालत तो इतनी खराब हें की वो इस बारे में बड़े नेताओ के डर से कुछ नही कह रहे हे क्योकि अगली बार टिकिट भी तो लेना हे लेकिन ये नही सोचते की जनता नेता बनाती हे यदि जनता की आवाज को ही दबा दोगे तो नेता कैसे बनोगे और एक बात और टिकिट की चिंता उस नेता को करनी चाहिए जिसे अपने आप पर भरोसा नही हे जिसे अपने आप पर भरोसा हे वो निर्दलीय भी जीत जायेगा और पार्टी जीतते ही बिना शर्त के उसे पार्टी में शामिल कर लेगी।इसका उदाहरण वर्तमान बोर्ड में सबके सामने हे।यहाँ तो जय हो जय हो के नारे लगाते रहो बस इसी में भलाई हे और अपना अपमान करवाते रहो।
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