अजमेरनामा की आशंका सही निकली, पाक जायरीन के आने का विरोध शुरू

Dargaahमहान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के आगामी सालाना उर्स में पाकिस्तानी जायरीन के आगमन को लेकर भले ही सत्तारूढ़ दल भाजपा ने मौन धारण कर रखा है, मगर विश्व हिंदू परिषद सहित अन्य हिंदूवादी संगठनों ने उनके आने का विरोध शुरू कर दिया है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारत विरोधी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाने का विवाद चरम पर होने के चलते जैसे ही अजमेर लिटरेरी सोसायटी के बेनर तले लाहौर-पाकिस्तान के शायर प्रो. अब्बास ताबिश के कार्यक्रम शायरी सरहद से परे को भाजपा सहित अन्य हिंदूवादी संगठनों के विरोध की वजह से रद्द करना पड़ा, तब अजमेरनामा ने यह सवाल उठाया था कि कहीं इसी प्रकार का विरोध ख्वाजा साहब के आगामी सालाना उर्स के दौरान पाक जायरीन के आगमन को लेकर न खड़ा हो जाए। इस पर शहर भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव ने बाकायदा बयान जारी कर कहा था कि उर्स के दौरान पाकिस्तान से जायरीन आयेंगे या नहीं, ये तो उन्होंने भी अभी तय नहीं किया होगा, लेकिन इस पर अनावश्यक चर्चा की जा रही है और यदि आते भी हैं तो इसको जवाहर रंगमंच में फर्जी तरीके से होने जा रहे पाकिस्तानी शायर के कार्यक्रम से जोड़ कर देखा जाना अनुचित है। अजमेर पुष्कर ब्रह्माजी व ख्वाजा साहब की सौहार्द, श्रद्धा व आस्था की नगरी है, जहां समन्वित भाव से सभी जगहों से आने वालों के सम्मान की परिपाटी चलती रही है।
उनके इस बयान से यह स्पष्ट हो गया था कि भाजपा पाक जायरीन के मुद्दे पर फिलहाल कोई स्टैंड नहीं ले रही है। उलटा उनकी इन पंक्तियों – अजमेर पुष्कर ब्रह्माजी व ख्वाजा साहब की सौहार्द, श्रद्धा व आस्था की नगरी है, जहां समन्वित भाव से सभी जगहों से आने वालों के सम्मान की परिपाटी चलती रही है, से तो यह लग रहा था कि भाजपा को पाक जायरीन के आने पर ऐतराज नहीं है।
बहरहाल, अब हिंदूवादी संगठनों ने अजमेरनामा की आशंका की पुष्टि करते हुए जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और गृह राज्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर पाक जत्थे की अजमेर यात्रा रद्द करने की मांग कर दी है। विहिप ने तो यहां तक चेतावनी दी है कि आगामी उर्स में पाक जत्थे को अजमेर में घुसने नहीं दिया जाएगा। विहिप के महामंत्री शशिप्रकाश इंदौरिया ने कहा कि यदि पाक जत्थे को भारत आने से रोका नहीं गया और पाक से संबंध विच्छेद नहीं किए गए तो देशभर में आंदोलन होगा।
वस्तुत: अजमेरनामा को आशंका इस कारण थी कि इससे पहले भी भारत-पाक संबंधों में तनाव के चलते लगातार दो साल तक पाकिस्तानी जायरीन उर्स मेले में नहीं आए थे। ज्ञातव्य है कि पाक जेल में वर्ष 2013 में सरबजीत की हत्या के बाद भारत-पाक के संबंधों में तनाव हो गया था। देशभर में पाक का विरोध हुआ। उर्स मेले में पाक जत्थे के आने की सूचना जैसे ही सार्वजनिक हुई, यह विरोध चरम पर पहुंच गया। इसी विरोध के चलते पाक जत्था भारत नहीं आ सका। वर्ष 2014 में भी कई अन्य कारणों से भारत-पाक संबंधों में तनाव बरकरार था, इस वजह से पाक जत्था नहीं आया। विरोध का मसला केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि सरकार के स्तर तक जा पहुंचा था। भारत सरकार की ओर से कहा गया था कि द्विपक्षीय घटनाओं के मद्देनजर भारत में जो सुरक्षा माहौल बना है, उसकी वजह से सरकार पाकिस्तानी जायरीनों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने की स्थिति में नहीं होगी। सरकार ने पाकिस्तान सरकार से बाकायदा सिफारिश भी की कि जायरीनों के अजमेर दौरे को रद्द किया जाए।
यहां बता दें कि अमूमन हर उर्स में पाकिस्तान से जायरीन भारत सरकार के खास मेहमान बन कर जियारत के लिए अजमेर आते हैं। अटारी से उनके लिए स्पेशल ट्रेन चलती है, जो आईबी और विशेष सुरक्षा बलों की निगरानी में दिल्ली होते हुए अजमेर आती है। यहां अमूमन वे तीन-चार दिन ठहरते हैं तब तक ट्रेन विशेष सुरक्षा निगरानी में रहती है। उन्हें स्थानीय सेंट्रल गल्र्स स्कूल में ठहराया जाता है। कलेक्टर समेत राज्य के कई अफसर उनकी तीमारदारी में रहते हैं।
खैर, अजमेरनामा ने लिखा था कि उर्स मेले में ज्यादा दिन शेष नहीं हैं। आगामी अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही मेला शुरू होने वाला है। इसकी प्रशासनिक तैयारी बैठक भी हो चुकी है। यह कहना अभी मुश्किल है कि उर्स मेला शुरू होने तक माहौल में कुछ सुधार आ ही जाएगा। मगर यदि भाजपा अथवा सहयोगी संगठनों से अभी से इस मुद्दे को उठाया तो संभव है कि प्रशासन व सरकार को इस पर विचार करना पड़ जाए। अब जब कि विरोध के स्वर उठने लगे हैं, सवाल ये उठ खड़ा हुआ है कि प्रशासन अब क्या कदम उठाता है?
-तेजवानी गिरधर
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