राजस्थान में चार जिलों से सटे ब्यावर उपखण्ड के सबसे बड़े राजकीय अमृतकौर अस्पताल में खून का सौदा हो रहा है। अस्पताल परिसर में 1500 से 2000 रुपए में एक यूनिट खून बिक रहा है। रविवार को विहिप नेता की सूझबूझ से एक बार फिर यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इससे पूर्व भी खून की सौदेबाजी के मामले सामने आए मगर अस्पताल प्रशासन इस गोरखधंधे पर लगाम कसने में नाकाम रहा।
ताजा मामले के अनुसार रविवार को पाली जिले के मेघदड़ा गांव से आई अनिता को प्रसव के दौरान एक यूनिट रक्त की आपात आवश्यकता हुई। प्रसूता के जेठ दूलाराम ने मोबाइल के जरिए विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री सुरेश वैष्णव से रक्त के लिए संपर्क किया। रोगी की गंभीरता देखते हुए वैष्णव संगठन के कार्यकर्ता जय हरचंदानी के साथ अस्पताल रवाना हुए। इस बीच दूलाराम ने पुन: फोन कर बताया कि उन्होंने 1500 रुपए देकर एक व्यक्ति से रक्त ले लिया है। रक्त खरीद की जानकारी मिलते ही वैष्णव तत्काल अस्पताल पहुंचे और रक्त बेचने वाले शख्स को धर दबोचा। पकड़े गए आरोपी की पहचान नूंद्री मालदेव निवासी सुखदेव के रूप में हुई। दूलाराम ने बताया कि रक्तदान के लिए परेशान होता देखकर सुखदेव पास आया और खून देने की बात कही। एक यूनिट खून के लिए उसने 2000 रुपए मांगे। बातचीत में सौदा 1500 रुपए में तय हुआ। वैष्णव की इत्तला पर शहर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी को पकड़कर थाने ले आई। इस बीच ब्लड बैंक प्रभारी डॉ.मुकुल राजवंशी भी अस्पताल पहुंचे और स्टाफ से मामले की जानकारी ली। राजवंशी ने स्पष्ट किया कि इस मामले में ब्लड बैंक के किसी कर्मचारी की लिप्तता नहीं है। खून देने वाला शख्स रोगी परिजन के साथ आया था और परिजन के कहने पर ही उसका रक्त लिया गया। खून बेचने के आरोप में रोगी परिजन दूलाराम व ब्लड बैंक प्रभारी ने पुलिस को लिखित शिकायत दी है।
पूर्व में पकड़ा था कर्मचारी को
सांसों के संसार में खून के सौदे का यह मामला नया नहीं है। इससे पूर्व भी अमृतकौर अस्पताल में ही खून की सौदेबाजी के गोरखधंधे का खुलासा हो चुका है। तब ब्लड बैंक के एक कर्मचारी की लिप्तता सामने आई थी। उस वक्त भी वैष्णव की सक्रियता से ही लाल खून के काले कारोबार का पर्दाफाश हुआ था। शिकायत के बाद अस्पताल प्रशासन ने दोषी कर्मचारी को ब्लड बैंक से हटा दिया गया था। बेशक कई मामले ऐसे भी होंगे जो उजागर नहीं हुए।
फिर भी नहीं लग रहा अंकुश
-सुमित सारस्वत, मो.09462737273