कही आप अनजाने मे पाप तो नहीं कर रहे

कोसिनोक जैन
कोसिनोक जैन
मिट्टी की बनी मूर्ति होती है सूंदर और पानी मे आसानी से घुल ने वाली।।मात्र 1 घंटे मे घुल जाती है मूर्ती ।।कही आप अनजाने मे पाप तो नहीं कर रहे ।
प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की बनी मूर्ति कभी गलती नहीं है ,नवज्योति मे प्रकाशित श्री ओम जी माथुर का लेख नजरिया मे बताया गया किस तरीके से प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की प्रतिमा पर्यावरण को दूषित कर रही है और हम पाप के भागी बन रहे हे क्यों की वो प्रतिमा कभी ठंडी नहीं होती यानि पानी मे जा कर गलती नहीं है ।फिर ऐसी पूजा किस काम की ,ऐसी भक्ति किस काम की ।।
ऐसा नहीं है कि मिट्टी के गणेश जी नहीं मिलते । कोसिनोक जैन ने कुम्हार मोहल्ला मे जा कर पता किया तो वहा खूब तादाद मे केवल और केवल मिटटी के गणेश का निर्माण हो रहा था।जैन ने वहा पर 19 वर्षिय मोना प्रजापति से बात करि तो बताया कि वह यह कार्य बाप दादा 50 से भी ज्यादा सालो से कर रहे हे ।परिवार के अन्य सदस्य भाई सुनील ,ताऊ देवी सिंह ,माँ उषा और बहन रौशनी सभी इस कार्य से जुड़े हुए हे ।मोना ने बताया कि वो बढ़ गॉव से 2500 rs मे मिट्टी की ट्रॉली मंगवाते हे जिस मे छोटी बड़ी मिलाकर 1000 से ज्यादा मूर्ति बन जाती है ।
एक महीने पूर्व वो प्रतिमा बनाने की श्री गणेश कर देते है ,मिट्टी आने के बाद पूरे विधि विधान के पूजा पाठ कर के प्रतिमा का निर्माण शुरू करते हे ।पूजा करते वक़्त परिवार के सभी लोग रहते है ।जब की इस के विपरीत चौपाटी पर बिकने वाले गणेश को बनाने वाले ऐसा कुछ नहीं करते ।
मिट्टी के गणेश बनाने वाले सुनील ने बताया कि बड़े से बड़े 3 फुट और छोटे 6 इंच तक के गणेश जी अभी वो बना रहे हे ।पूरा परिवार रोज 10 बड़ी और 40 छोटी मूर्ति बना लेते है ।।पुरे साल मिट्टी का कार्य करने वाला प्रजापति परिवार बिना चप्पल पहने प्रतिमा का निर्माण करते हे और केवल कच्चे रंग काम मे लेते है ।रंग को घोल कर बनाया जाता है जिस मे लाल नीला पीला गुलाबी हरा रंग मुख्या हे ।मूर्ति के बनने पर उस को सुखाया जाता है फिर उस पर खड़िया लगाया जाता है खड़िया लगने के बाद ही उस पर रंग चढ़ता है और इस को भीलवाड़ा से लाया जाता है ।उस के बाद उस को रंगा जाता है ।।।एक मूर्ती को वो 21 से लेकर 251 तक जैसा ग्रहिक लग जाये बेचते हे ।
इस मौसम मे बारिश होते ही वो बैठ जाते हे उन का काम रुक जाता है .धुप आने पर मुर्तिया को सूखने के लिए रखा जाता है ।कुम्हार मोहलले मे करीब 30 से अधिक घर वाले यह कार्ये करते हे ।पड़ोस मे रहने वाले किशोर और हीरा बाई ने बताया कि केवल कच्चे रंग का इस्तेमाल करते हे मिट्टी भी बढ़िया वाली ।।वो पुरे परिवार के साथ 2 तारीख से कैसर गंज गोल चक्कर पर मूर्ति बेचने जायेंगे और करीब 6 से 8 हजार कमा लेते है ।।। सब से बढ़िया बात पुरे 10 दिन पूजा करने के बाद इस मूर्ती को अगर आप विसर्जन करोगे तो मात्र 1 घंटे मे मूर्ती ठंडी हो जायेगी यानि वापस मिट्टी का रूप ले लेगी ।और कोई रंगों से प्रदुषण दूषित नहीं होगा ।।इस के विपरीत प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनने वाली मूर्ती जो चौपाटी पर बनती है कभी पानी मे जाकर गलती नहीं है ना उस का रंग घुलता हे ।।और मूर्ति बनाने वाले बड़ी मूर्ती मे यो लोहा और लकड़ी तक लगा देते है ।।आप सब से यही अपील करता हूं इस वर्ष केवल मिट्टी की मूर्ति गणेश जी या माता जी की पूजा करे जिस से विसर्जन के समय वो वापस मिट्टी के रूप मे आ जावे और आराम से ठंडी हो जावे ।।।।

कोसिनोक जैन

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