पत्रकारों का सशक्त संगठन न होने से बढ़ता है पुलिस का हौसला

zमुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के अजमेर आगमन के मौके पर जिस प्रकार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार ने मीडिया कर्मियों को कवरेज करने से न सिर्फ मना किया बल्कि होराइजन हिंद वेब न्यूज पोर्टल के कैमरामैन पर वीडियो फुटेज डिलीट करने का भी दबाव बनाया, वह पत्रकारों के संगठित न होने का नतीजा है। बेशक अजमेर में पत्रकारों के अच्छे संगठन व क्लब हैं, मगर दिनभर पत्रकारिता के लिए भागने दौडऩे वाले श्रमजीवी पत्रकारों का कोई स्थानीय संगठन नहीं है। यही वजह है कि जब भी ये पत्रकार पुलिस ज्यादती का शिकार होते हैं तो उनकी पैरवी ठीक से नहीं हो पाती।
इसमें कोई दोराय नहीं कि वीआईपी के आगमन पर पुलिस अतिरिक्त दबाव में होती है और उस पर कानून व्यवस्था बनाए रखने का बड़ा दायित्व होता है, मगर मौके पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के साथ दुव्र्यवहार करना अत्यंत शर्मनाक है। प्रदर्शनकारियों के साथ कितनी सख्ती बरती जाए, यह मौके की स्थिति और वहां मौजूद पुलिस अधिकारी के विवेक पर निर्भर है, मगर जो पत्रकार शांति से अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे होते हैं, उनके साथ दुव्र्यवहार को कत्तई जायज नहीं ठहराया जा सकता। ताजा प्रकरण में होराइजन हिंद की रिपोर्टिंग से यह बात उभर कर आ रही है कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार ने उसके केमरामैन को डराया, वह बेहद आपत्तिजनक है। वैसे यह धारणा है कि अवनीश कुमार संजीदा अफसर हैं, मगर इस घटना में वे क्यों इतने उत्तेजित हुए, इसका कारण समझ में नहीं आया।
इस घटना से सबक मिलता है कि श्रमजीवी पत्रकारों को स्थानीय स्तर पर रोजमर्रा के कामकाज में दिक्क्त न आए, इसके लिए उन्हें संगठित होना चाहिए।
संदर्भ के लिए यहां होराइजन हिंद की लिंक दी जा रही है:-

http://www.horizonhind.com/ajmer41814

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