क्या वापसी पर नरवाल पाला बदल लेंगे?

भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा अजमेर शहर जिला अध्यक्ष पद पर देवेंद्र सिंह शेखावत की नियुक्ति की विरोध करने वाले प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल नरवाल भले ही बहाल हो गए हैं, मगर ये सवाल आज भी खड़ा है कि क्या वे इस वजह से अपना पाला बदल लेंगे?
असल में ये सवाल इस वजह से उठता है क्योंकि शेखावत का ही विरोध करने वाले उनके प्रतिद्वंद्वी नितेश आत्रेय की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्हें कोटा संभाग का प्रभारी बनाया गया तो यही समझा गया था कि प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष औंकारसिंह लखावत गुट ने उन्हें बोतल में बंद कर लिया है। लखावत गुट में बड़ा सुकून था कि चलो देवनानी लॉबी के एक युवा मोर्चा नेता को तो सेट कर लिया। इस बात की भी तसल्ली थी कि अब वे अजमेर में शेखावत को परेशान करने के लिए दखल नहीं देंगे, मगर चंद दिन बाद ही उन्होंने जता दिया कि वे उस खेमे से बंधे हुए नहीं हैं। डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी को लेकर मोर्चा की अजमेर इकाई अभी कुछ करती, इससे पहले ही उन्होंने अपने समर्थकों के साथ रैली निकाल कर यूपीए सरकार का पुतला फूंका और जता दिया कि वे अजमेर में तो अपना दखल जारी रखेंगे ही। इससे भी रोचक बात ये थी कि उन्होंने इस विरोध प्रदर्शन की जो विज्ञप्ति अखबारों को भेजी, वह भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिला अजमेर के लेटर हेड पर भेजी है। उसमें साफ लिखा है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिला अजमेर का यह प्रदर्शन संभाग प्रभारी नितेश आत्रेय के नेतृत्व में आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन पर शहर जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत की स्थिति अजीबोगरीब हो गई। वे समझ रहे थे कि आत्रेय से मुक्ति मिल गई, मगर वे तो उससे भी बड़ा सिरदर्द हो गए। अर्थात वे अब भी देववानी लॉबी में ही बने हुए हैं, भले ही वापसी में लखावत का हाथ हो। इसके चंद दिन बाद ही जब मोर्चे का कांग्रेस हटाओ, देश बचाओ आंदोलन के तहत जवाहर रंगमंच पर सम्मेलन हुआ तो ये खतरा बना हुआ ही था कि आत्रेय का गुट हंगामा किए बिना नहीं मानेगा। वो तो यह गुट इससे पहले हुए अजमेर बंद के दौरान कांग्रेस कार्यालय में कालिख पोते जाने की वजह से उलझ गया, वरना इतनी शांति से सम्मेलन होना संभव नहीं था।
बहरहाल, अब जब कि नरवाल को बहाल किया गया है तो अंदरखाने की खबर ये है कि ऐसा ओंकार सिंह लखावत के प्रयासों से हुआ है और वे उन्हें देवनानी लॉबी से तोड़ कर लाए हैं। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठ रहा है कि क्या बहाली के बाद वे लखावत का अहसान मान कर उनके कहे अनुसार चलेंगे या फिर देवनानी गुट में ही बने रहेंगे। हां, ये बात जरूर हो सकती है कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है सो आत्रेय के झटके बाद नरवाल की बहाली से पहले उन्होंने उनसे वचन लिया होगा कि वे वापस देवनानी लॉबी को ज्वाइन नही करेंगे।
-तेजवानी गिरधर

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